मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुज़र जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।
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इस वाक्य से निम्नलिखित बातें स्पष्ट होती हैं
Explanation:
यह वाक्य रज़िया सज्जाद ज़हीर की प्रमुख रचना नमक से लिया गया है। जिसमे साफिया पाकिस्तान में कस्टम वालों के सामने फस जाती है। साफिया ने कस्टम अफसर से पूछा कि आप कहाँ के रहने वाले हैं ? उनहोंने कुछ हैरान हो कर साफिया को गौर से देखा और कहा कि मेरा वतन देहली है। आप भी तो हमारी तरफ की मालूम होती हैं, अपने अज़ीज़ों से मिलने आयी होंगी। साफिया ने जवाब दिया जी हाँ लखनऊ से हूँ अपने भाइयों से मिलने आयी थी। साफिया ने अपना हैंड बैग मेज़ पर रख दिया। और नमक की पुड़िया निकाल कर उनके सामने रख दी और फिर आहिस्ता आहिस्ता उनको सब कुछ बता दिया। उन्होंने पुड़िया को उठा कर साफिया के हैंड बैग में रखते हुए बोले ' मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुज़रती है की कानून हैरान रह जाता है '। इस वाक्य से कस्टम अफसर कानून और मुहब्बत में अंतर बताता है।
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