मांझे और पतंग के बीच संवाद
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पतंग ( डोर से ) -" मै तुम्हें ही ढूंढ रही थी ! "
डोर (अभिमान मे भरकर ) -"वो तो मै जानती ही हूँ | मेरे बिना तुम्हारा काम कैसे चलेगा ? "
पतंग - हम दोनो एक -दूसरे के साथ होते है तब ही तो आसमान मे हमें और जमीन पर लोगों को मज़ा आता है |"
डोर - "पर मेरे बिना तुम उड़ोगी कैसे ? "
पतंग - "तुम मेरे साथ जो हो | हम मिलकर ही ऊपर की ओर बढ़ सकते है |"
डोर - "परंतु हमे परस्पर जोड़कर उड़ाने वाला भी तो चाहिए तभी हम उड़ान भरेंगे |"
पतंग - "हाँ, ये तुमने सही बात कही | "
डोर (विनम्रतापूर्वक) - "सच में ,उड़ने के लिए जुड़ना ज़रूरी है |"
पतंग - " बिल्कुल हम जुड़ेंगे तभी उड़ेंगे और हमारी अनूठी जोड़ियों की क्रीड़ा ,जमीन -आसमान में रौनक के साथ-साथ सभी के मन को उल्लास की उमंगों से भर देंगी |"
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