Hindi, asked by Arunrazz, 1 month ago

'मुझसे मिलने को कौन विकल'-'दिन जल्दी जल्दी ढलता है' गीत का यह परशन उर मे क्या भरता है (अ) शिथिलता। (ब) चंचलता (स) विहृलता। (द) उपयुक्त सभी​

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Answered by risakanojiya
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Answer:

मुझसे मिलने को कौन विकल'-'दिन जल्दी जल्दी ढलता है' गीत का यह परशन उर मे क्या भरता है (अ) शिथिलता। (ब) चंचलता (स) विहृलता। (द) उपयुक्त सभी

Answered by chepyalamanoharreddy
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Explanation:

प्रसंग: प्रस्तुत काव्याशं हहरिवंशराय ‘बच्चन’ द्वारा रचित कविता ‘एक गीत’ से अवतरित है। इस कविता में कवि का मन निराशा एवं ककुंठासे क्षुब्ध है। इन पक्तियों में कवि ने अपने अकेलेपन की भावना को अभिव्यक्ति प्रदान की है।

व्याख्या: कवि देखता है कि सभी प्राणी और पक्षीगण अपने-अपने घरों की ओर लौटने को उत्सुक प्रतीत होते हैं। सभी के घरों में उनकी प्रतीक्षा हो रही है। लेकिन कवि हताश है, निराश है कि उसके पर में ऐसा कोई नहीं है जो उसकी उत्कंठापूर्ण प्रतीक्षा कर रहा हो, जो उससे मिलने के लिए व्याकुल हो। वह भला किसके लिए चंचल गति से अपने पैर बढ़ाए। यही निराशा का अहसास उसके कदमों में शिथिलता भर देता है और उसका मन पीड़ा से भर उठता है। एक अशांत, विधुर-वियोग जनित प्रमाद एवं विषाद उसे घेरने लगता है। वह अपनी कर्म-गति में एक प्रकार की शिथिलता का अनुभव करने लगता है। उसका हृदय विह्वल हो उठता है। दिन जल्दी ही ढल जाएगा और रात को प्रिय श्यामा की वियोग-वेदना उसे मथती रहेगी। तब उसका हृदय अशांत हो उठेगा।

विशेष: 1. एकाकी जीवन बिताने वाले व्यक्ति की मनोदशा का अत्यंत मार्मिक चित्रण हुआ है।

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