मौकों कहाँ दूढे बंदे, मैं तो तेरे पास
ना मैं देवल ना मैं मसजिद ना कावे कैलास में
ना तो कौने क्रिया-कर्म में नही सोग राग में।
खोजी होय तो तुरतै मिलिही पल भर की तालासमा
कहै कबीर सुनो भई साधो सब स्वाँसों की स्वास
Q1:प्रस्तुत पद में कवि ने किन बातों पर बल
दिया है।
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प्रस्तुत पद में कवि ने हमें बताने की कोशिश की है कि ईश्वर ना ही मंदिर में है ना ही मस्जिद में वह सब जगह हैं
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