माकी ममता सूयवा सच्चान्यायाकिहानी
दो पंडीसीखीया रूनिसंताज फरमान,
बच्चों को चाना। न्यायाधिश का बचाको दो तकठो में
कदिनी का फैसला न्यायाधीशका फैसला असली माताको
सौपना शिक्षा
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स्नेहा और अमित अपने दूसरे बच्चे के जन्म से बहुत खुश हैं. उन्हें अपने पहले बच्चे का नर्सरी में दाखिला अगले महीने कराना है. वे इसके लिए पैसे की व्यवस्था करने में जुटे हैं.
स्नेहा और अमित अपने दूसरे बच्चे के जन्म से बहुत खुश हैं. उन्हें अपने पहले बच्चे का नर्सरी में दाखिला अगले महीने कराना है. वे इसके लिए पैसे की व्यवस्था करने में जुटे हैं.उन्होंने पहले बच्चे के जन्म के साथ ही 5000 रुपये का मासिक निवेश इक्विटी Mutual Fund में शुरू कर दिया था. तीन साल में इस निवेश से वे करीब 2.2 लाख रुपये जुटा पाए हैं.
स्नेहा और अमित अपने दूसरे बच्चे के जन्म से बहुत खुश हैं. उन्हें अपने पहले बच्चे का नर्सरी में दाखिला अगले महीने कराना है. वे इसके लिए पैसे की व्यवस्था करने में जुटे हैं.उन्होंने पहले बच्चे के जन्म के साथ ही 5000 रुपये का मासिक निवेश इक्विटी Mutual Fund में शुरू कर दिया था. तीन साल में इस निवेश से वे करीब 2.2 लाख रुपये जुटा पाए हैं.यह रकम उन्हें पहले बच्चे के हिसाब से भले ही पर्याप्त लगे, लेकिन दूसरे बच्चे के लिए पांच साल बाद यह काफी नहीं होगी. इसकी वजह यह है कि शिक्षा का खर्च लगातार बढ़ रहा है. अब औसत भारतीय के
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स्नेहा और अमित अपने दूसरे बच्चे के जन्म से बहुत खुश हैं. उन्हें अपने पहले बच्चे का नर्सरी में दाखिला अगले महीने कराना है. वे इसके लिए पैसे की व्यवस्था करने में जुटे हैं.
स्नेहा और अमित अपने दूसरे बच्चे के जन्म से बहुत खुश हैं. उन्हें अपने पहले बच्चे का नर्सरी में दाखिला अगले महीने कराना है. वे इसके लिए पैसे की व्यवस्था करने में जुटे हैं.उन्होंने पहले बच्चे के जन्म के साथ ही 5000 रुपये का मासिक निवेश इक्विटी Mutual Fund में शुरू कर दिया था. तीन साल में इस निवेश से वे करीब 2.2 लाख रुपये जुटा पाए हैं.
स्नेहा और अमित अपने दूसरे बच्चे के जन्म से बहुत खुश हैं. उन्हें अपने पहले बच्चे का नर्सरी में दाखिला अगले महीने कराना है. वे इसके लिए पैसे की व्यवस्था करने में जुटे हैं.उन्होंने पहले बच्चे के जन्म के साथ ही 5000 रुपये का मासिक निवेश इक्विटी Mutual Fund में शुरू कर दिया था. तीन साल में इस निवेश से वे करीब 2.2 लाख रुपये जुटा पाए हैं.यह रकम उन्हें पहले बच्चे के हिसाब से भले ही पर्याप्त लगे, लेकिन दूसरे बच्चे के लिए पांच साल बाद यह काफी नहीं होगी. इसकी वजह यह है कि शिक्षा का खर्च लगातार बढ़ रहा है.