मुकुट
16. लोग कहते है कि आकाश और धरती कभी एक नहीं होते आर व यह मा कहत हाक प्रकृात आर पुरुष की
धमाचौकड़ी में सदा प्रकृति पाजित होती है, पल्प विजयी होता है। मेरा अनुरोध है कि देखें एक बार वे भारत के
कश्मीर को, जहाँ सुषमा सती है, सौदय बिखरता है। झील के स्थिर पानी पर सूर्य की लहरी उठती है। पहाड़ों पर वाटल
की परत की इंद्रधनुषी तरंग पर जलतरंग की स्वर्ण नहरी उठती है। पहाड़ों पर बादलों की परत की परत आसमान से हो
करती दिखाई देती है और शिखर से नीचे देखने पर आकाश ही जमीन पर मालूम होता है। अतएव, जिसे देखकर भी ।
न भरे ऐसी यहाँ की छटा है, चखकर जिसका स्वाद न मिटे एसी यह खुराक है और सुनकर जो कानों के बाहर न निकले
एसा यह संगीत है। यहाँ की चप्पे-चप्पे जमीन कुदरत की ऐसी प्यारी देन है, जो इनसान नहीं गढ़ सकता, भगवान के
ससका निर्माण कर सकता है।
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जो कानों के बाहर ना निकले ऐसा यह संगीत है कहने का अर्थ है
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