Hindi, asked by freefirebrothers59, 4 months ago

मुक्त - मुक्ति शब्दों में अंतर बताए​

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Answered by asp1672001
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Answer:

मुक्त का अर्थ स्वतंत्र , आजाद,छूटा हुआ(जैसे कर मुक्त,कैद मुक्त)

मुक्ति का मतलब मुक्त होने की अवस्था

Explanation:

मुक्ति

गाँव के बाहर, उत्तर की और नदी के पार जंगल जहाँ शुरू होता था एक जोगी ने धूनी रमा ली थी। पत्तों और टहनियों का एक छप्पर डाल कर वो अपने कार्य में रत हो गया। गाँव के जो लोग नदी जाते, उसे देखते - कई दूर से प्रणाम कर देते, कई देखा अनदेखा कर अपनी राह पकड़ लेते। कुछ महीनों के बाद, गाँव की एक कमसिन युवती का प्रेम एक परदेसी से हो गया। परदेसी धूर्त, फ़रेबी था - मज़े के दिन काट कर एक रात भाग गया। युवती कुछ सप्ताह पश्चात पेट से हुई तो सकते में आ गयी। छोटा सा गाँव, छोटा परिवेश। सब एक दूसरे से परिचित। जब युवती की माँ को भनक लगी की लड़की पेट से है तो बिठा के माता-पिता दोनो नें उस से सच कहने का आग्रह किया। रोने-धोने के कोहराम में युवती नें बेख़ुदी में कह दिया की नदी के पार वाला साधू ही होने वाले बच्चे का पिता है। रोना-धोना आक्रोश में बदल गया। क्रोध में पिता ने आव देखा न ताव, लड़की को बाँह से पकड़ा और चल पड़ा जोगी की धूनी पर।

बरसात का ज़ोर, गरजते बादल, और ऊफान में नदी। पतला सा पुल पार करते हुए, हड्डियों तक भीगे हुए बाप-बेटी जब जोगी की कुटिया तक पहुँचे तो जोगी अंदर बैठा था। इतने महीनों में उसने कुटिया पर मिट्टी का लेप, पत्थर आदि लगा कर पक्का काम कर लिया था। बाप ने जम के एक लात कमज़ोर दरवाज़े पर लगाई। कोने में जोगी कम्बल औड़े, धरती पर पुराने कम्बलों का आसन बना के बैठा था। दो दियों की लौ में साफ़ दिख रहा था कि सिवा कुछ बर्तनों के कुटिया में कुछ नहीं था। “मेरी लड़की है यह - सुनते हो?” बाप गरजाया। जोगी नें हौले से सहमति में सिर हिला दिया। “ज़्यादा कुछ न मुझे पूछना है न जानना है - यह बच्चा तुम्हारा है, सो सम्हालो इसे, अपनी पत्नी को और होनेवाले बच्चे को! मैं चला!” कांपती हुई लड़की को वहाँ छोड़ कर, पिता उलटे पाँव लौट गया।

लड़की ने जोगी का घर सम्हाल लिया! झाड़ू, लेप, खाना, पानी ...जोगी जैसा पहले था अब भी वही था। पर लड़की को वह बहुत प्यार से अपनी देख-रेख में रखे हुए था। न तो जोगी ने उस से कभी कुछ पूछा और न ही लड़की ने कुछ बताया। नौ माह बाद लड़की ने एक ख़ूबसूरत बालक को जन्म दिया। कुछ दिन बाद, एक शाम को जो परदेसी लड़का इस लड़की को झाँसा दे कर भाग गया था, अचानक जोगी की कुटिया पर आ पहुँचा।

ख़ूब रोया, सर पीटा, हाथ जोड़-जोड़ कर विनती की, क्षमा-याचना ...लड़की का दिल पसीज गया। लड़के ने उसको और अपने बच्चे को साथ लिया और लड़की के पिता के घर चल पड़ा। जोगी जैसे था सो था।

अगले दिन, लड़की, लड़का, लड़की का पिता, माँ - सब के सब जोगी की कुटिया पर आ पहुँचे। पिता ख़ूब रोया, जोगी के पाँव पर गिर पड़ा, “महाराज, हम तो पापी हो गए - एक तो यह कुकर्म आपके माथे मड़ दिया और फिर पलट कर यह भी न देखा कि आप पे क्या बीती होगी ...इसका प्रायश्चित हम कैसे करें?” जोगी नें मुस्कुरा कर सबकी और देखा, “प्रायश्चित कैसा? तुमने मुझसे कहा कि बच्चा मेरा है। फिर इस लड़के ने कहा कि यह बच्चा इसका है। मैं तो इसमें भागीदार न था, न हूँ। मैं तो मात्र साक्षी हूँ। अपने ध्यान में भी तो मैं साक्षी होता हूँ तो जीवन में क्यूँ नहीं?”

जोगी के अपने मन का सामान तो कुछ था ही नहीं। न तो उसे उस लड़की से कोई अपेक्षा थी, न उस परदेसी लड़के से। जिसने जैसे बोला वैसा ही उसने किया। मन का सामान होता तो वह नाराज़ होता, ख़ुश होता। जो अपने मन के सामान से मुक्त हो गया, वही सब से मुक्त है। यही मुक्ति है।

Answered by luckyvora
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Answer:

मुक्ति और मोक्ष इसमें क्या अंतर है इस सवाल का जवाब मैं अपने प्राप्त ज्ञान के ... घर से मुक्ति मोक्ष शब्द का प्रयोग शास्त्रों में किया गया है जन्म मरण से मुक्त हो जाना ... पर चलने के अनेक उपाय बताए गए हैं दान धर्म सन्यास परोपकार सब मोक्ष प्राप्ति के उपाय

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