Business Studies, asked by jcreation896, 1 month ago

मौखिक प्रस्तुतिकरण से क्या समझते है मौखिक प्रस्तुतिकरण को प्रभावित करने वाले कारकोपर प्रकाश डालिए।​

Answers

Answered by Anonymous
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Answer:

प्रेषक द्वारा प्राप्तकर्ता को संदेश मौखिक रूप से देना कोई नया नही है । व्यक्तिगत जीवन में, व्यावसायिक जगत में तथा सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन में हम प्रतिदिन ग्राहकों, साथियों, मित्रों, कर्मचारियों, नियोक्ताओं, जनता एवं अन्य लोगों के साथ संचार कार्य मौखिक रूप से करते रहते हैं । मौखिक प्रस्तुतिकरण में भाषा का बहुत महत्व है। भाषा मानव समूह में आचरण को समझने में एक मुख्य कुंजी है । भाषा सामाजिक परम्पराओं का एक संस्थान एक प्रतीकों की श्रृंखला तथा एक प्रत्ययों (विचार) की श्रृंखला में विशिष्ट प्रकार के संबंधों का वर्णन करती है । शाब्दिक प्रतीक वाणी (मोखिक) तथा लेखन दोनों में व्यक्त होते हैं किन्त यह बात भी ध्यान देने की है कि अनेक प्रकार के प्रतीक जो कि शब्दों या संख्या से विभिन्न हैं वह भी विचारों का संकेत देने का कार्य करते हैं। जब किसी विचार को एक मौखिक प्रतीक में बदला जाता है तो उसे संहिताबद्ध करना कहते हैं। इसी प्रकार जिस प्रक्रिया के द्वारा मौखिक प्रतीक (शब्द) को एक विचार या संप्रत्यय के संकेत में बदला जाता है उसे संकेत वाचन कहते हैं । प्रभावशाली संचार के लिए यह आवश्यक है कि संहिताबद्ध तथा संकेत वाचन प्रक्रियाओं का एक-दूसरे के साथ तालमेल हो ।

Answered by gs7729590
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Answer:

"[प्रेषक द्वारा प्राप्तकर्ता को संदेश मौखिक रूप से देना कोई नया नही है । व्यक्तिगत जीवन में, व्यावसायिक जगत में तथा सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन में हम प्रतिदिन ग्राहकों, साथियों, मित्रों, कर्मचारियों, नियोक्ताओं, जनता एवं अन्य लोगों के साथ संचार कार्य मौखिक रूप से करते रहते हैं । मौखिक प्रस्तुतिकरण में भाषा का बहुत महत्व है। भाषा मानव समूह में आचरण को समझने में एक मुख्य कुंजी है । भाषा सामाजिक परम्पराओं का एक संस्थान एक प्रतीकों की श्रृंखला तथा एक प्रत्ययों (विचार) की श्रृंखला में विशिष्ट प्रकार के संबंधों का वर्णन करती है । शाब्दिक प्रतीक वाणी (मोखिक) तथा लेखन दोनों में व्यक्त होते हैं किन्त यह बात भी ध्यान देने की है कि अनेक प्रकार के प्रतीक जो कि शब्दों या संख्या से विभिन्न हैं वह भी विचारों का संकेत देने का कार्य करते हैं। जब किसी विचार को एक मौखिक प्रतीक में बदला जाता है तो उसे संहिताबद्ध करना कहते हैं। इसी प्रकार जिस प्रक्रिया के द्वारा मौखिक प्रतीक (शब्द) को एक विचार या संप्रत्यय के संकेत में बदला जाता है उसे संकेत वाचन कहते हैं । प्रभावशाली संचार के लिए यह आवश्यक है कि संहिताबद्ध तथा संकेत वाचन प्रक्रियाओं का एक-दूसरे के साथ तालमेल हो ।]"

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