‘मुख में कविता और करघे पर हाथ’- गद्यांश में यह उक्ति किसके लिए प्रयोग की गई है ?
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कबीर के लिये कहा गया है ।क्योंकि उसके घर में जुलाहै का का कार्य होता था।ओर कविता करना उनका स्वभाव था।
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