मुख्यमंत्री की स्थिति का वर्णन करें
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मुख्यमंत्री की शक्तियों व कार्यो को देखकर यह स्पष्ट हो जाता है कि उसको राज्य के प्रशासन में बहुत महत्वपूर्ण स्थिति प्राप्त है। वह मंत्रिपरिषद का निमार्ण करता है तथा अपनी इच्छानुसार जिस मंत्री को चाहे, पद से हटा सकता है। वह राज्यपाल का मुख्य सलाहकार है। वह राज्यपाल और मंत्रिमण्डल के बीच कड़ी का काम करता है। मुख्यमंत्री के त्यागपत्र देने का अर्थ समस्त मंत्रिपरिषद का त्यागपत्र होता है। वह राज्य विधानमण्डल का भी नेता है तथा विधानसभा को जब चाहें भंग करवा सकता है। परन्तु इतना होते हुए भी उसकी वास्तचिक स्थिति काफी हद तक परिस्थितियों तथा उसके व्यक्तित्व पर निर्भर करती है। राज्य विधानसभा में यदि उसके दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है तो उसकी स्थिति दृढ़ होती है क्योंकि वह कोई भी बिल पास करवा सकता है। इसके विपरीत यदि उसने अन्य दलों के साथ मिलकर अर्थात संयुक्त मोर्चा बनाकर एवं मिली-जुली सरकार (Coalition Government) की स्थापना की है, तो उसकी स्थिति कमजोर होगी और उसे अन्य मंत्रियों (विशेष रूप से अनय दलों के मंत्रियों) को भी साथ लेकर चलना पड़ेगा। उसकी स्थिति असके अपने दल के सदस्यों द्वारा किए जाने वाले सहयोग पर भी निर्भर करती है। मुख्यमंत्री की स्थिति उसके दल के हाई कमांड (High Command) तथा प्रधानमंत्री के समर्थन पर भी निर्भर करती है। अन्त में मुख्यमंत्री की स्थिति उसके अपने व्यक्तित्व तथा उस राज्य के व्यक्तित्व पर भी निर्भर करती है। यदि राज्यपाल का व्यक्तित्व कमजोर है तो मुख्यमंत्री की स्थिति अधिक मजबूत होगी। परन्तु यदि राज्यपाल महान व्यक्तित्व का स्वामी है, तो वह मुख्यमंत्री पर अपना प्रभाव डाल सकता है और कई परिस्थितियों में उसे कठिनाई में डाल सकता है। इस प्रकार यद्यपि मुख्यमंत्री को महत्वपूर्ण शक्तियां प्राप्त हैं, परन्तु उसकी वास्तविक स्थिति मुख्यत: राज्य के विरोधी दल, राज्य विधानमण्डल, राज्यपाल तथा उसके दल के हई धमांड आदि से सम्बन्धों परिस्थितियों तथा उसके व्यक्तित्व पर निर्भर करती है तथा इस स्थिति में परिस्थितियों और उसके व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण स्थान होता है।
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