माखनलाल चतुर्वेदी साहित्य में योगदान
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१९५४ में साहित्य अकादमी पुरस्कार की स्थापना होने पर हिन्दी साहित्य के लिए प्रथम पुरस्कार दादा को 'हिमतरंगिनी' के लिए प्रदान किया गया। 'पुष्प की अभिलाषा' और 'अमर राष्ट्र' जैसी ओजस्वी रचनाओं के रचयिता इस महाकवि के कृतित्व को सागर विश्वविद्यालय ने १९५९ में डी. लिट्. की मानद उपाधि से विभूषित किया।
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Makhan lal na bhut hi Yogadan kiya hai apni jeevan ma
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