Hindi, asked by deepasinghkv433, 8 months ago


मौलिक अधिकारों की हमें क्यों आवश्यकता ?​

Answers

Answered by dilipkrdubeydto
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Answer:

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Answered by Anonymous
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Explanation:

मौलिक अधिकार: अर्थ व उनकी आवश्यकता :

देश के उच्च कानूनों द्वारा संरक्षित हित के रूप में मौलिक अधिकारों को परिभाषित किया जा सकता है । मौलिक अधिकार संविधान के उन उपबन्धों से मान्यता पाते हैं, जिनके अन्तर्गत हमारे प्रजातान्त्रिक राज्य में सीमित पुलिस शक्तियों के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया गया है ।

देश के मूल कानूनों में मौलिक अधिकारों त्रा पवित्र स्थान है तथा यह राज्य के अनुचित हस्तक्षेप पर प्रतिबन्ध भी लगाते हैं । राज्य को राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए मौलिक अधिकारों पर उपयुक्त न्म्पूवन्य लगाने का अधिकार है, परन्तु यह प्रतिबन्ध उचित है या नहीं यह निर्णय करने का अधिकार न्यायपालिका को दिया गया है ।

इस प्रकार, जनता की संरक्षित स्वतन्त्रता के क्षेत्र में न्यायिक पुनरावलोकन (judicial review) एक अपरिहार्य अंग बन गया है । दुर्गादास बसु के शब्दों में : ”हम अपनी न्यायपालिकाओं पर भरोसा कर सकते हैं, जो हमारी स्वतन्त्रताओं का संरक्षण करने के साथ केवल न के हित में अपनी सत्ता का प्रयोग करती है ।”...

संविधान उन लिखित व अलिखित नियमों का संग्रह है, जिनसे किसी राज्य में शासन का गठन व संचालन होता है, अत: उसमें मौलिक अधिकारों को शामिल करना आवश्यक नहीं है । सन् 1787 में अमरीका सन् 1867 में कनाडा व सन् 1900 में अस्ट्रेलिया के संविधान बने जिनमें मौलिक अधिकारों की रचना नहीं की गयी ।

यह अलग बात है कि कुछ समय बाद इन संविधानों में संशोधन करके मौलिक अधिकारों को शामिल किया गया । सबसे पहले सन् 1936 मैं बने सोवितय रूस के संविधान में मौलिक अधिकारों एवं कर्तव्यों का वर्णन किया गया है, तभी से यह परम्परा शुरू हो गयी ।......

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