मूल पाठ
करता था तौ क्यूं रह्या, अब करि क्यूं पछताइ।
बोवै पेड़ बबूल का, अंब कहाँ से खाइ॥1.27॥
Answers
करता था तौ क्यूं रह्या, अब करि क्यूं पछताइ।
बोवै पेड़ बबूल का, अंब कहाँ से खाइ॥
अर्थ:
अगर तुम अपने आपको ही करता मानते थे तो फिर जीवन में असफल ही क्यों हुए। इसका मतलब यह है तुम करता नहीं हो कर्म के निमित्त हो। करन करावन - हार वह ईश्वर ही है वही करता है। कारणों का कारण वही है। तुम अपने अहंकार में आके कृतित्व का भाव न रखते तो अपने आप को करता न मानते। तब सुख दुःख भी न पाते। अब जब परमात्मा की दी हुई शक्ति को ही तुमने अपना अहंकार बना लिया है। बबूल का पेड़ ही तब तुमने बोया है जिसमें कांटे ही कांटे हैं इसलिए आम कहाँ से खाने को मिलेगा। तुमने ऐसे काम क्यों नहीं किये जो जीवन में सुख मिले। तुम नियामक नहीं निमित्त थे और अपने को करता समझ बैठे। कर्म के अहंकार कर्म की आसक्ति की वजह से ही तुमने कष्ट पाया है। सकाम कर्म करने का तुमने दंभ पाला था। इसलिए अब कष्ट उठा रहे हो।