मालती ने रोते हुए शिशु को मुझसे लेने के लिए हाथ बढ़ाते हुए कहा "इसको चोटें लगती ही रहती हैं, रोज ही गिर पड़ता है।"
. मेरे मन ने कहा "माँ! युवती माँ यह तुम्हारे हृदय को क्या हो गया है! जो तुम एकमात्र बच्चे के गिरने पर ऐसी बात कह
सकती हो .... और यह भी तब जब तुम्हारा सारा जीवन तुम्हारे आगे है।"
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hahahahausususuusisis
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