मा ने आभूषण को स्त्री जीवन के बंधन क्यों कहा है? कन्यादान कविता के आधार पर बताइए।
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स्त्री के जीवन में वस्त्र और आभूषण भ्रमों की तरह हैं अर्थात् ये चीजें व्यक्ति को भरमाती हैं। ये स्त्री के जीवन के लिए बंधन का काम करते हैं। और जिस प्रकार चतुर व्यक्ति अपनी लच्छेदार भाषा और मोहक शब्दावली से ही भोले इंसान को अपना गुलाम बना लेता है वैसे ही पुरुष से प्राप्त वस्त्र और आभूषणों के लालच में अथवा उन्हें लेकर आसक्त होने से स्त्री भ्रमित हो जाती है और वह पुरुष की दासी बन जाती है। ससुराल में अच्छे वस्त्राभूषणों के मोह में स्त्री प्राय: दासतामय बन्धन में पड़ जाती है। इसलिए वस्त्राभूषणों को शाब्दिक भ्रम कहा गया है।
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