• माने जाएँ तो उसका अपना जीवन सुखी और आनंदमय हो सकता है। सभी गुणों का विकास एक बालक में यदि उसक बाल्यावस्था से ही किया जाए तो वह अपने देश का श्रेष्ठ नागरिक बन सकता है। इन गुणों के कारण वह अपने परिवार, आस पड़ोस विद्यालय में अपने सहपाठियों एवं अध्यापकों के प्रति यथोचित व्यवहार कर सकेगा। वाणी एवं व्यवहार की मधुरता सभी के लिए सुखदायक होती है, समाज में हार्दिक सद्भाव की वृद्धि करती है किंतु अहंकारहीन व्यक्ति ही स्निग्ध वाणी और शिष्ट व्यवहार का प्रयोग कर सकता है। अहंकारी और दभी व्यक्ति सदा अशिष्ट वाणी और व्यवहार का अभ्यासी होता है। जिसका परिणाम यह होता है कि ऐसे आदमी के व्यवहार से समाज में शांति और सौहार्द का वातावरण नहीं बनता। जिस प्रकार एक व्यक्ति समाज में रहकर अपने व्यवहार से कर्तव्य और अधिकार के प्रति सजग रहता है, उसी तरह देश के प्रति भी उसका व्यवहार कर्तव्य और अधिकार की भावना से भावित रहना चाहिए। उसका कर्तव्य हो जाता है कि न तो वह स्वयं कोई ऐसा काम करे और न ही दूसरों को करने दे, जिसमें देश के सम्मान, संपति और स्वाभिमान को ठेस लगे। समाज एवं देश में शांति बनाए रखने के लिए धार्मिक सहिष्णुता भी बहुत आवश्यक है। यह व्यक्ति संतुलित व्यक्तित्व का हो। वह आंतरिक व बाहरी संघर्ष से परे सामाजिकता की अनुभूति से परिपूर्ण व्यक्तित्व होना चाहिए। वृत्ति तभी आ सकती है जब निम्नलिखित में से निर्देशानुसार सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए। (1) गद्यांश के संदर्भ में अच्छा नागरिक बनने के लिए नियमों का प्रावधान आवश्यक है, क्योंकि यह (क) स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है जिससे वातावरण को शांति से परिपूर्ण करता है। (ख) व्यक्तित्व को निखारकर जीवन को आमोद-प्रमोद से परिपूर्ण करता है। (ग) व्यक्तित्व को निखारकर जीवन को सुख और मंगलकामना से परिपूर्ण करता है। (घ) व्यक्ति को अहंकार, स्निग्ध वाणी और शिष्ट व्यवहार से परिपूर्ण करता है। (2) वाणी एवं व्यवहार की मधुरता सभी के लिए सुखदायक होती है। इस कथन के लिए उपयुक्त तर्क है - (क) देश के सम्मान, संपत्ति और स्वाभिमान को ठेस पहुँचती है। (ख) देश व समाज में शांति और सौहार्द का वातावरण नहीं बनता। (ग) कर्तव्य और अधिकार का समुचित निर्वाह बहुत आवश्यक है। (घ) समाज में हार्दिक सद्भाव की वृद्धि और सुख की प्रतिष्ठा होती है।(3) अहंकारी और दंभी व्यक्ति सदा अभ्यासी होता है - (क) अशिष्ट वाणी और व्यवहार का (ख) मधुर एवं अशिष्ट व्यवहार का (ग) अशिष्ट वाणी एवं व्यवहार की शुद्धि का (घ) स्निग्ध वाणी और अशिष्ट व्यवहार का (4) संतुलित व्यक्तित्व से तात्पर्य हैं (क) आंतरिक व बाहरी संघर्ष से संपूर्ण सामाजिकता की अनुभूति से परिपूर्ण व्यक्तित्व (ख) देश में पूर्णतः आदर्श नागरिक का व्यवहार करने वाला सुखदायक व्यक्तित्व (ग) आंतरिक व बाहरी संघर्ष से रहित संपूर्ण सामाजिकता की अनुभूति से परिपूर्ण व्यक्तित्व (घ) कर्तव्य और अधिकार के प्रति सजग रहने वाला भावुक प्रवृत्ति से परिपूर्ण व्यक्तित्व (5) धार्मिक सहिष्णुता की स्थापना आवश्यक है क्योंकि इससे - (क) अधिकार और कर्तव्य पर विजय प्राप्त हो जाएगी। (ख) देश की संपत्ति को नुकसान नहीं पहुँचेगा । (ग) भारतीय संविधान की प्रतिष्ठा बनी रहेगी । (घ) समाज एवं देश में शांति व्यवस्था बनी रहेगी।
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अम्मा बांद्रा कुमार जी अल्लाह जा रहे हो आरती पांडे
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