मैना की अंतिम इच्छा थी कि वह उस प्रासाद के ढेर पर बैठकर जी भरकर रो ले लेकिन पाषाण-हृदय वाले जनरल ने किस भय से उसकी इच्छा पूर्ण न होने दी ? (Short)
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मैना के प्रार्थना करने पर भी जनरल ने उसे अपने प्रसाद के ढ़ेर पर रोने भी नहीं दिया, क्योंकि नाना साहब अंग्रेज़ी सरकार के दोषी थे और उनके किसी भी साथी या रिश्तेदार को छोड़ना भविष्य के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता था। अंग्रेज़ों को भविष्य के इस खतरे से भय था।
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