माँ ने कहा पानी में झाँककर
अपने चेहरे पर मत रीझना
आग रोटियाँ सेंकने के लिए है
जलने के लिए नहीं
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह
बंधन हैं स्त्री जीवन के
माँ ने कहा लड़की होना
पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।
(क) माँ बिटिया को किस अवसर पर यह सीख दे रही है और क्यों?
(ख) बिटिया को चेहरे पर रीझने के लिए मना क्यों किया जा रहा है?
(ग) आग के विषय में माँ के कथन का क्या अभिप्राय है?
(घ) माँ ने आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन क्यों कहा है?
(ङ) ‘लड़की जैसी दिखाई मत देना’ कथन का आशय समझाइए।
Answers
(क) माँ बिटिया को किस अवसर पर यह सीख दे रही है और क्यों?
➲ माँ बिटिया को ये सीख दे रही है, कि वो अपने चेहरे पर मत रीझे अर्थात उसे अपनी सुंदरता पर अभिमान नही होना चाहिए।
(ख) बिटिया को चेहरे पर रीझने के लिए मना क्यों किया जा रहा है?
➲ बिटिया को चेहरे पर रीझने के लिए इसलिये मना किया जा रहा है क्योंकि अपनी सुंदरता पर अभिमान करने से भ्रम की स्थिति पैदा होगी। वह अपनी सुंदरता को बढ़ाने के लिए अपनी वस्त्र-आभूषण के मोह में पड़ जायेगी।
(ग) आग के विषय में माँ के कथन का क्या अभिप्राय है?
➲ आग के विषय में माँ के कथन का अभिप्राय ये है कि उसकी बेटी ससुराल द्वारा किसी तरह के शोषण से तंग आकर कोई अप्रिय कदम नही उठा ले।
(घ) माँ ने आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन क्यों कहा है?
➲ माँ ने आबूषणों को स्त्री जीवन का बंधन इसलिए कहा है क्योंकि आभूषणों के कारण इन्हीं के मोह में पड़ जायेगी। उसे आभूषणों की इच्छा पूरी करने के लिए कई तरह के समझौते करने पड़ सकते हैं। ये बातें उसे आगे बढ़ने से रोक सकते हैं। इसलिये माँ ने आभूषणों को स्त्री जीवन का बंधन कहा गया है।
(ङ) ‘लड़की जैसी दिखाई मत देना’ कथन का आशय समझाइए।
➲ ‘लड़की जैसे दिखाई मत देना’ इस कथन से अभिप्राय है कि बेटी लड़की की तरह कोमल तो रहे लेकिन कमजोर नही बने। वह हर परिस्थिति का मुकाबला दृढ़ करे।
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