मान लीजिए, किसी वस्तु की माँग की कीमत लोच -0.2 है। यदि वस्तु की कीमत में 10% वृद्धि होती है, तो उस पर होने वाला व्यय किस प्रकार प्रभावित होगा?
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अर्थशास्त्र के सन्दर्भ में, लोच (elasticity) शब्द का उपयोग किसी आर्थिक चर को बदलने पर किसी दूसरे चर में हुए परिवर्तन की मात्रा बताने के लिये किया जाता है। यदि एक चर के परिवर्तन से दूसरा चर अधिक परिवर्तित होता है तो कहते हैं कि लोच अधिक है। उदाहरण के लिये, यदि किसी उत्पाद के मूल्य में कमी की जाय तो उसकी बिक्री कितनी बढ़ेगी, इसके लिये 'लोच' शब्द का प्रयोग किया जाता है। कीमत बढ़ने पर गिफीन वस्तु की मांग बढ़ती हैं व कम होनें पर कुछ घटती हैं । जैसें - यदि शुद्ध घी की कीमत बढ़ जाएं व आय परिवर्तित ना हों तो उपभोक्ता वनस्पति की ओर प्रतिस्थापन कर देता हैं व तत्पश्चात यदि आय में वृद्धि होती हैं तो वह वनस्पति घी में कुछ कमी कर के कुछ मात्रा शुद्ध घी की लेता हैं अत: तब वनस्पति घी एक तरह से गिफीन वस्तु होती हैं ।
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मान लीजिए, किसी वस्तु की माँग की कीमत लोच -0.2 है। यदि वस्तु की कीमत में 10% वृद्धि होती है, तो उस पर होने वाला व्यय किस प्रकार प्रभावित होगा?
मांग की कीमत लोच इकाई से कम है अत: कीमत में वृद्धि होने पर वस्तु पर होने वाला व्यय बढ़ जाएगा|
मांग की कीमत लोच = -0.2
वस्तु की कीमत में वृद्धि = 10%
वस्तु के लिए मांग में प्रतिशत परिवर्तन = -.2 *10 =-2
Ed <1 , यह एक बलोचदार मांग की स्थिति है| वस्तु की कीमत में 10% की वृद्धि जब की वस्तु की मांगी गई मात्रा में 10% की कमी हो रही है तथा कुल मूल्य बढ़ेगा|
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मान लीजिए किसी वस्तु की माँग की कीमत लोच -0.2 है। यदि वस्तु की कीमत में 5% की वृद्धि होती है, तो वस्तु के लिए माँग में कितनी प्रतिशत कमी आएगी?