म्निलिखित गद्यांश को पटकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएहमें
तुम क्या करना चाहिए इसका ठीक ठीक उत्तर तुम्ही को देना होगा दूसरा कोई नहीं दे सकता कैसे भी
विश्वासपात्र मित्र हो तुम्हारे इस काम को वे अपने ऊपर नहीं ले सकता हम अनभवी लोगों की बातों को
आदर के साथ सुन, बुद्धिमानों की सलाह को कृतज्ञता पूर्वक माने पर इस बात को निश्चित समझ कर
कि हमारे कार्यों से ही हमारी रक्षा व हमारा पतन होगा, अपने विचार और निर्णय की स्वतंत्रता को देता
पूर्वक बनाए रखना चाहिए जिस पुरुष की दृष्टि सदा नीची रहती है उसका सिर कभी ऊपर ना होगा नीचे
दृष्टि रखने से यद्यपि रास्ते पर रहेंगे और इस बात को ना देखेंगे कि यह रास्ता कहाँ ले जाता है चित्त
की स्वतंत्रता का मतलब चेष्टा की कठोरता या प्रकृति की उग्रता नहीं है अपने व्यवहार में कोमल रहों
और अपने उद्देश्यों को उच्च रखो इस प्रकार नम और उच्चाशय दोनों बनो। अपने मन को कभी मरा हुआ
ना रखो जो मनुष्य अपना लक्ष्य जितना ऊपर रखता है उतना ही उसका तीर ऊपर जाता है, इसी
चित्तवृत्ति के बल पर मनुष्य परिश्रम के साथ दिन काटता है और दरिद्रता के दुख को झेलता है।
चित्तत्ति के प्रभाव से हम प्रलोभनों का निवारण कर के सदा अपनी रक्षा करते हैं।।
1 हम जीवन में सही निर्णय किस प्रकार ले सकते हैं?
2 गद्यांश में नीचे दृष्टि ना रखने की सलाह क्यों दी गई है?
3 मन को मरा हआ रखने से क्या अर्थ है?
4 नीचे दृष्टि रखने से क्या लाभ है?
5 गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए?
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