मैं नीर भरी दुःख की बदली के आधार पर एक सामान्य स्त्री की वेदना व्यक्त कीजिए
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एक सामान्य स्त्री की हालात बेहद दयनीय होती है।
चाहे वह घर में हो या समाज में,हमेशा उस पर ऊंगली उठाई जाती है।
अगर वह अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठाती है तो वह कुल की नाशिनी समाज में कलंक बन जाती है।
अगर वह कुछ न बोले तो भी शोषण का शिकार हो जाती है।
मतलब हद है हर हाल में यह समाज औरत को चैन से जीने नहीं देता है।
चाहे वह घर में हो या समाज में,हमेशा उस पर ऊंगली उठाई जाती है।
अगर वह अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठाती है तो वह कुल की नाशिनी समाज में कलंक बन जाती है।
अगर वह कुछ न बोले तो भी शोषण का शिकार हो जाती है।
मतलब हद है हर हाल में यह समाज औरत को चैन से जीने नहीं देता है।
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