Hindi, asked by sarthakj38, 9 months ago

मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।
जौ पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥
पाहन हौं तो वही गिरि को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन।
जौ खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन।

ANSWER THE FOLLOWING:

( क ) रसखान श्रीकृष्ण का सानिध्य पाने के लिए क्या - क्या कामना करता है ?

( ख ) पक्षी बनकर कवि कहाँ रहना चाहता है और क्यों ?

( ग ) निर्जीव रूप में कवि ने क्या इच्छा प्रकट की है ?

Answers

Answered by mgupta1736
4

Answer:

क उतर रसखान श्री कृष्ण का सानिध्य प्राप्त करने के लिए कोई भी रूप प्राप्त करना चाहते हैं लेकिन पर यह चाहते हैं कि वह किसी भी रुप में उन्हीं चीजों के आसपास रहे जिनसे श्री कृष्ण की यादें जुड़ी हुई हैं

ख पक्षी बनकर कवि कालंदी के पेड़ की डाल पर रहना चाहता है क्योंकि श्री कृष्ण जी कालंदी के पेड़ के नीचे खड़े होकर बांसुरी बजाते थे जिससे उनकी यादें जुड़ी हुई हैं

ग निजी रूप में कवि गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनना चाहता है Hope it helps..Mark it as branliest..

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