Hindi, asked by archana8270, 4 months ago

मानुष हौं तो वही 'रसखान', बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन ।
जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन ॥
पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यो कर छत्र पुरंदर कारन ।
जो खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी-कूल कदंब की डारन ॥1॥​


archana8270: thanks

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Answered by deveshkumar9563
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Explanation:

यहाँ पर रसखान ने ब्रज के प्रति अपनी श्रद्धा का वर्णन किया है। चाहे मनुष्य का शरीर हो या पशु का; हर हाल में ब्रज में ही निवास करने की उनकी इच्छा है। यदि मनुष्य हों तो गोकुल के ग्वालों के रूप में बसना चाहिए। यदि पशु हों तो नंद की गायों के साथ चरना चाहिए। यदि पत्थर हों तो उस गोवर्धन पहाड़ पर होना चाहिए जिसे कृष्ण ने अपनी उंगली पर उठा लिया था। यदि पक्षी हों तो उन्हं यमुना नदी के किनार कदम्ब की डाल पर बसेरा करना पसंद हैं।


deveshkumar9563: thanks
archana8270: thanks
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