मैं नाव।जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार।पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे।जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।।plz explain it..
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it means i am a boat and Don't know when I hear my voice water drip upons me i can't stop my mind say.............................
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it's right because I confirm it from Google
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प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने नाव की तुलना अपनी जिंदगी से करते हुए कहा है , वह अपनी सांसो की तुलना कच्ची डोरी से की है ,की वे इसे कच्ची डोरी यानी साँसों द्वारा चला रही हैं। यह जो सांसे है यह कब बंद हो जाएगी किसी को पता नहीं है | वह उस समय का इंतजार कर रही है , कब प्रभु उसकी पुकार सुन सुनेंगे और ज़िन्दगी से पर करेंगे |
अपने शरीर की तुलना मिट्टी के कच्चे ढांचे से करते हुए कहा की उसे नित्य पानी टपक रहा है यानी प्रत्येक दिन उनकी उम्र काम होती जा रही है। प्रभु से मिलने के सारे प्रयास व्यर्थ होते जा रहे है | मन में प्रभु से मिलने की चाह के लिए व्याकुल होते जा रही है , भक्त इस उम्मीद से ये सब कर रहा है कि कभी तो भगवान उसकी पुकार सुनेंगे और उसे भवसागर से पार लगायेंगे।
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