मानक भाषा की आवश्यकता क्यों हुई ?
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Explanation:
किसी भी राष्ट्र अथवा देश में एक ऐसी भाषा की आवश्यकता रहती है जो विभिन्न व्यवहार क्षेत्रों में संप्रेषण साधन की महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सके। इसके लिए यह भी ज़रूरी है कि वह भाषा क्षेत्रीय तथा सामाजिक विविधिताओं से ऊपर उठकर सर्वग्राह्य और सर्वमान्य हो।
मानक भाषा की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि हिंदी को एक राष्ट्रीय और सार्वभौमिक रूप देना था। हिंदी कई तरह की बोलियों से विकसित होकर बनी है। अलग-अलग अंचलों में अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरह की हिंदी बोली जाती है। इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती थी। हिंदी को राष्ट्रीय स्तर पर एक निश्चित रूप देने के लिए मानक भाषा की आवश्यकता पड़ी ताकि सभी शब्दों को एक मानक स्वरूप प्रदान किया जा सके और हिंदी एक सार्वभौमिक रूप विकसित हो सके।
व्याख्या :
किसी भाषा के लंबे समय तक प्रचलन की अवधि में उसके कुछ शब्दों में अशुद्धि उत्पन्न हो जाती है अर्थात किसी शब्द को लिखने के एक से अधिक रूप प्रचलन में आ जाते हैं। ऐसी स्थिति में भाषा में एकरूपता लाने के लिये उन एक से अधिक रूपों में लिखे जाने वाले शब्दों के जिस रूप को शुद्ध रूप की मान्यता दी जाती है वह उस शब्द का मानक रूप कहलाता है।