मानव एकता के प्रतीक गुरू नानक देव जी
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गुरु नानक देव मानव एकता के सच्चे प्रतीक थे। गुरु नानक देव का कहना है कि सभी व्यक्ति एक ही ईश्वर के अंश हैं और हमें सभी को एक समान भाव से देखना चाहिए। सारे व्यक्तियों को एक समान भाव से देखना ही सच्चा आत्मज्ञान है। गुरु नानक देव समाज के समर्थक थे। वह उनका मानना था कि समाज से विमुख होकर कोई व्यक्ति सच्चे अर्थों में विकास नहीं कर सकता और ना ही मुक्ति प्राप्त कर सकता है। वह समाज में रहकर ही अपने जीवन को सार्थक कर सकता है। गुरु नानक देव सदैव एकता और भाईचारे पर जोर देते थे। उन्होंने कहा था कि झूठ और भ्रम की,, नफरत की दीवारों को तोड़ दो और ऐसे पुलों का निर्माण करो जो एक इंसान को दूसरे इंसान से जोड़ते होंं।
धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर या स्त्री-पुरुष के नाम पर गुरु नानकदेव किसी भी तरह के भेदभाव के प्रबल विरोधी थे और उनका मानना था कि इस तरह के भेदभाव मानव की समानता में बहुत बड़ी बाधा है। उनका कहना था मनुष्य सब बराबर है | भगवान से उसे एक जैसा बनाया है |
स्त्रियों के प्रति उनके मन में दिल से आदर था और वह अपने इस आदर को व्यक्त करते हुए यह कहते हैं। ‘सो क्या मंदा जानिए, जित जनमे राजान’ इसका मतलब है कि जिस स्त्री ने महाराजाओं और महापुरुषों को जन्म दिया है वह स्त्री छोटी कैसे हो गई, वह स्त्री तो महान है।
गुरु नानक देव जी का कहना था हम सब एक ही ईश्वर की संतान है, और हमारे अंदर इंसानियत ही हमारा सबसे बड़ा गुण है। बस हमें इंसानियत से जीना आना चाहिए। सबके साथ प्यार , प्रेम की भावना के साथ रहना चाहिए | सबकी मदद करनी चाहिए |