मानव जब जोर लगाता है, पानी पत्थर बन जाता है इस कविता का अर्थ हिंदी में.
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मानव जब जोर लगाता है,पत्थर पानी बन जाता है
रश्मिरथी:रामधारी सिंह दिनकर
रश्मिरथी, जिसका अर्थ “सूर्य की सारथी” है, हिन्दी के महान कवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित प्रसिद्ध खण्डकाव्य है। यह 1952 में प्रकाशित हुआ था। इसमें कुल 7 सर्ग हैं, जिसमे कर्ण के चरित्र के सभी पक्षों का सजीव चित्रण किया गया है। रश्मिरथी में दिनकर ने कर्ण को महाभारतीय कथानक से ऊपर उठाकर उसे नैतिकता और वफ़ादारी की नयी भूमि पर खड़ा कर उसे गौरव से अलंकृत कर दिया है। रश्मिरथी में दिनकर ने सारे सामाजिक और पारिवारिक संबंधों को नए सिरे से जाँचा है। चाहे गुरु-शिष्य संबंधें के बहाने हो, चाहे अविवाहित मातृत्व और विवाहित मातृत्व के बहाने हो, चाहे धर्म के बहाने हो, चाहे छल-प्रपंच के बहाने।
युद्ध में भी मनुष्य के ऊँचे गुणों की पहचान के प्रति ललक का काव्य है ‘रश्मिरथी’। ‘रश्मिरथी’ यह भी संदेश देता है कि जन्म-अवैधता से कर्म की वैधता नष्ट नहीं होती। अपने कर्मों से मनुष्य मृत्यु-पूर्व जन्म में ही एक और जन्म ले लेता है। अंततः मनुष्य का मूल्यांकन उसके वंश से नहीं, उसके आचरण और कर्म से ही किया जाना न्यायसंगत है।
Answer: "मानव जब जोर लगाता है, पानी पत्थर बन जाता हैं कविता, रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखी गई है| इसका अर्थ नीचे स्पष्ट किया गया है|
Explanation: यह कविता हिंदी में है, जिसका अर्थ है कि जब कोई व्यक्ति कड़ी मेहनत और बौद्धिक रूप से काम करता है, तो वह असंभव प्रतीत होने वाले को पूरा कर सकता है। जिस प्रकार जल से बने पत्थर को हम नहीं तोड़ सकते, परन्तु जब मनुष्य उस जल पर बल लगाता है, तो वह उस जल को पत्थर में बदलने में सफल हो जाता है। जब कोई तेज छलांग लगाता है, तो उसे कुछ हासिल नहीं होता, लेकिन जब वह सावधानी और समझदारी से काम लेता है, तो वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। इस कविता में कवि पाठकों को अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने की सलाह दे रहा है।
रामधारी सिंह दिनकर भारत के एक कवि, निबंधकार और शिक्षाविद थे, जिन्हें आज हिंदी कविता के सबसे महत्वपूर्ण लेखकों में से एक माना जाता है। सिमरिया, बिहार, भारत में पैदा होने के बाद उनका पालन-पोषण कोलकाता और पटना में हुआ। दिनकर एक राष्ट्रवादी कवि थे,
- जिनकी कविताएँ अक्सर सामाजिक अन्याय, स्वतंत्रता और देशभक्ति जैसे विषयों को संबोधित करती थीं।
दिनकर ने 1930 के दशक की शुरुआत में लिखना शुरू किया और उस समय के रोमांटिक कवियों का उनके शुरुआती कार्यों पर प्रभाव पड़ा। उनकी रचनाओं ने बाद में अधिक राजनीतिक और दार्शनिक स्वर ग्रहण हुआ क्योंकि वे एक अधिक सामाजिक रूप से जागरूक कवि के रूप में विकसित हुए। रश्मिरथी, कुरुक्षेत्र और उर्वशी उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से हैं।
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