Hindi, asked by saurav733, 1 year ago

- मानवीय करुणा की दिव्य चमक -
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Answered by vishu592
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मानवीय करुणा की दिव्य चमक पाठ में सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

जी ने फादर बुल्के के बारे में बताया है। लेखक कहते हैं कि वे एक देवदार के वृक्ष

के समान थे। देवदार का वृक्ष बड़ा होता है और सबको छाया देता है। उसी प्रकार वे भी

सबको आश्रय देते थे और दुखी लोगों को सांत्वना देते थे।

फादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग थे। वे

बेल्जियम से आये थे पर भारतीयों के लिए उन्हें बहुत प्रेम था। वे भारत को अपना देश

मानते थे। उन्हें हिंदी भाषा से बहुत प्रेम था। उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा

बनाने के लिए अनेक प्रयत्न किये। उन्होंने ब्लू-बर्ड और बाइबिल को हिंदी में लिखा।

वे हिंदी भाषा व साहित्य से सम्बंधित संस्थाओं से जुड़े हुए थे। वे लेखकों को

स्पष्ट राय देते थे।

वे राँची के सेंट ज़वियर्स कॉलेज में हिंदी तथा संस्कृति

विभाग के विभागाध्यक्ष थे। उन्होंने अंग्रेजी - हिंदी कोश तैयार किया।

वे लोगों के सुख दुख में शामिल होते थे। उनके मन में सबके

लिए करुणा थी और वे सबके प्रति सहानुभूति व्यक्त करते थे। उनकी आँखों में एक दिव्य

चमक थी जिसमें असीम वात्सल्य था। लोग उन्हें बहुत प्यार करते थे और उनकी मृत्यु पर

असंख्य लोगों ने दुख प्रकट किया।  


saurav733: thanks i got this best answer
khushirajesh: thanks
khushirajesh: welcome
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