मानवता ही एक सच्ची धर्म है
masumfashiullah:
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हमारे में मानवता हो तो भीतर से सादगी सहज स्वयं प्रगट होती है ।
सभी के साथ प्रेमभाव से जीना ही मानवता है । एकता से जीना ही मानवता है । मानवता से भरा जीवन जीने से अपने अंदर सहज रूप से शक्ति और स्फूर्ति आएगी । अंदर में आनंद जागेगा ।
अंदर आनंद प्रगट होने से सभी के प्रति प्रेमभाव बढता रहेगा और हर रोज सभी के पास से नया नया सीख सकेंगे । शिक्षण मिलने से अपना जीवन गति शील और जीवंत बनता है । फिर कोई मानसिक भेदभाव रहता नहीं औऱ समग्र जीवन बिना बंधन मुक्त बनता है ।
सचमुच तो जीवन ही संबंध है । किसी से हम अलग रह सके ऐसा नहीं है । अगर हम किसी के प्रति पूर्वग्रह रके या मन्यता रखे तो आंतरिक संबंध नही होता ।
किसी के साथ आंतरिक संबंध हो इसके लिए मानवता से भरपूर ऐसा प्रेम और करुणा होनी चाहिए ।
सत्य के दर्शन के लिए बी पहली सीडी मानवता है । इसके लिए हमको आरंभ खुद अपने आप से करना है। आरंभ करेंगे तो कुदरत मदत करेगी । अपना सच्चा भाव होगा तो अंत में सत्य की अनुभूती होगी ।
हम अगर पहल करेंगे तो सामने से अनुकूल प्रतिभाव पडेगा है । ऐसा होगा तो अपने अंदर आत्म विश्र्वास का जन्म होगा ।
आत्मविश्र्वास से शक्ति औऱ हिम्मत दोनो स्वयं आएगी । जीवन को और जीवन में मानवता को महत्व देने से आर्थिक सामाजिक सभी प्रवृत्तियाँ गौण (Secondary) बन जाती है ।
जीवन में यह सच्ची समझ है । ऐसी समझ पनपने से ऐसा लगेगा कि जीवन में पाने जैसा सबकुछ मिल गया है ।
सभी के साथ प्रेमभाव से जीना ही मानवता है । एकता से जीना ही मानवता है । मानवता से भरा जीवन जीने से अपने अंदर सहज रूप से शक्ति और स्फूर्ति आएगी । अंदर में आनंद जागेगा ।
अंदर आनंद प्रगट होने से सभी के प्रति प्रेमभाव बढता रहेगा और हर रोज सभी के पास से नया नया सीख सकेंगे । शिक्षण मिलने से अपना जीवन गति शील और जीवंत बनता है । फिर कोई मानसिक भेदभाव रहता नहीं औऱ समग्र जीवन बिना बंधन मुक्त बनता है ।
सचमुच तो जीवन ही संबंध है । किसी से हम अलग रह सके ऐसा नहीं है । अगर हम किसी के प्रति पूर्वग्रह रके या मन्यता रखे तो आंतरिक संबंध नही होता ।
किसी के साथ आंतरिक संबंध हो इसके लिए मानवता से भरपूर ऐसा प्रेम और करुणा होनी चाहिए ।
सत्य के दर्शन के लिए बी पहली सीडी मानवता है । इसके लिए हमको आरंभ खुद अपने आप से करना है। आरंभ करेंगे तो कुदरत मदत करेगी । अपना सच्चा भाव होगा तो अंत में सत्य की अनुभूती होगी ।
हम अगर पहल करेंगे तो सामने से अनुकूल प्रतिभाव पडेगा है । ऐसा होगा तो अपने अंदर आत्म विश्र्वास का जन्म होगा ।
आत्मविश्र्वास से शक्ति औऱ हिम्मत दोनो स्वयं आएगी । जीवन को और जीवन में मानवता को महत्व देने से आर्थिक सामाजिक सभी प्रवृत्तियाँ गौण (Secondary) बन जाती है ।
जीवन में यह सच्ची समझ है । ऐसी समझ पनपने से ऐसा लगेगा कि जीवन में पाने जैसा सबकुछ मिल गया है ।
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