Hindi, asked by sushantthakur401, 2 months ago

‘मानवता पर कोरोना का कहर’ पर स्वरचचत कविता लिखिए​

Answers

Answered by nikishivam521
1

Answer:

इटली जैसे देश की, हालत है संगीन,

हालत है संगीन, लाश पर चढ़ी लाश है

मानवता बेचैन, दवा भी नहीं पास है।

भीड़ न होने दीजिए, रहें घरों में कैद

साफ - सफाई के लिए रहें सदा मुस्तैद।

अनिल मिश्र प्रहरी।

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1 YEAR AGO

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Answered by priyanshu200798
1

Answer:

सब कुछ बदल रहा,

इंसान बदल रहे,

मुस्कराहटें बदल रही,

प्रकृति करवट बदल रही!

फिज़ाओं में रंग भर रहे,

निखर चमन खिल रहा,

नई कोपलों जन्मी हैं,

प्रकृति करवट बदल रही!

भोर में चमक बढ़ रही,

धुंध भी छंट रही,

खग गीत गूंज रहे,

प्रकृति करवट बदल रही!

आर्द्रता संग भीगे नयन,

माथे पर चिंता की सलवटें,

कुछ अनजाना डर मन लिए,

प्रकृति करवट बदल रही!

सोचा इंसान ने जीत लिया जहान,

जानवर मान लजीज लिए प्राण,

प्रदूषण जल नभ वातावरण में,

प्रकृति करवट बदल रही!

कर्तव्यविमूढ़ निर्दयी इंसान,

बने रहे अज्ञानी अनजान,

किया मां धरती को अस्वस्थ,

प्रकृति करवट बदल रही!

हथियार, तकनीकी की होड़,

आज धरा है यहीं बेबस,

रंग, जाति, धर्म विवश,

प्रकृति करवट बदल रही!

कोरोना कहर बन टूटा,

एक अबूझ पहेली-सी,

आज बन गई प्रकृति,

प्रकृति करवट बदल रही!

अब तक जो भूले-भटके,

घर बैठो सोचो बन सपूत,

सबक ले लो ये प्रलय नहीं,

प्रकृति करवट बदल रही!

उदार प्रकृति मां है सबकी,

नभ, जल, थल, चर संतान उसकी,

विवेक रखो वक्त बदलेगा,

प्रकृति करवट बदल रही!

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