Hindi, asked by dhanaraj8369, 9 months ago

मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरि सोय I जा तन की झाई परे, श्याम हरित दुति होय II" किस छंद का है ? *

Answers

Answered by abcdaditya6
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Answer:

मेरी भववाधा हरौ, राधा नागरि सोय।

जा तन की झाँई परे स्याम हरित दुति होय।।  

यहाँ श्लेष अलंकार का सुन्दर उदाहरण है।  

राधा जी के पीले शरीर की छाया नीले कृष्ण पर पड़ने से वे हरे लगने लगते है। दूसरा अर्थ है कि राधा की छाया पड़ने से कृष्ण हरित (प्रसन्न) हो उठते हैं।

मेरी भव बाधा हरो भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार, कहानीकार और उपन्यासकार रांगेय राघव द्वारा लिखा गया एक श्रेष्ठ उपन्यास है। यह उपन्यास 'राजपाल एंड संस' प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया था। राघव जी का यह उपन्यास महाकवि बिहारीलाल के जीवन पर आधारित अत्यंत रोचक मौलिक रचना है। यह उपन्यास उस युग के समाज, राजनीति और धार्मिक जीवन का भी सजीव चित्रण करता है।

Answered by anupamaverma0206
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मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरि सोय I जा तन की झाई परे, श्याम हरित दुति होय II" किस छंद का है ? *

Explanation:

श्लोष अलंकार है

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