मुर्गियों में विटामिन A,B,D.E तथा K के एक-एक कार्य लिखिए।
and Kin
Answers
Answer:
यह मुख्य रूप से 2-3 माह के चूजों को अधिक प्रभावित करता है। विटामिन 'ई' की कमी के कारण चूजों में उन्माद हो जाता है, जिसे उन्मादी चूजे (क्रेजी चिक) कहते हैं | इसकी कमी से ग्रसित चूजे इधर-उधर भागने-दौड़ने लगते हैं तथा लड़खड़ा कर चलते रहते हैं, अंत में गिर पड़ते हैं, आंख बन्द कर बैठे रहते हैं और 24 घंटे के अंदर इनकी मृत्यु हो जाती है।
उपचार
इसकी कमी से ग्रसित मुर्गियों को विटासेप्ट की 0.25 से 0.5 मि.ली. मात्रा की सूई मांस में सप्ताह में एक बार देनी चाहिए। प्रभावित चूजों को पोलकॉन की एक ग्राम मात्रा 10 कि.ग्रा. दाने में मिलाकर खिलाने से लाभ मिलता है। प्रभावित मुर्गियों को कोन्सीटोन लिक्विड पिलाने से भी लाभ मिलता है।
Explanation:
यह मुख्य रूप से 2-3 माह के चूजों को अधिक प्रभावित करता है। विटामिन 'ई' की कमी के कारण चूजों में उन्माद हो जाता है, जिसे उन्मादी चूजे (क्रेजी चिक) कहते हैं | इसकी कमी से ग्रसित चूजे इधर-उधर भागने-दौड़ने लगते हैं तथा लड़खड़ा कर चलते रहते हैं, अंत में गिर पड़ते हैं, आंख बन्द कर बैठे रहते हैं और 24 घंटे के अंदर इनकी मृत्यु हो जाती है। विटामिन 'के' की कमी से होने वाले रोग
इसकी कमी से ग्रसित मुर्गियों में कट लगने पर खून का थक्का बनाने की शक्ति क्षीण हो जाती है, जिसके कारण खून बहता रहता है।
उपचार
प्रभावित मुर्गियों को पोलकॉन की एक ग्राम मात्रा 10 कि.ग्रा. दाने में मिलाकर देते रहना चाहिए। इसकी कमी से ग्रसित मुर्गियों को कैपिलिन ओरल की एक टिकिया प्रतिदिन खिलाने से लाभ मिलता है। खून बहते रहने की अवस्था में क्रोमोस्टेट, स्टाइपलन या रेवीसी इत्यादि में से किसी एक की एक मि.ली. मात्रा की मांस में सूई लगानी चाहिए। विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग
विटामिन 'डी' की कमी होने पर मुर्गियों का विकास रुक जाता है | चूजों की वृद्धि दर में गिरावट आ जाती है। प्रभावित मुर्गियों के अंडों के छिलके पतले होने लगते हैं।अंडों के उत्पादन में भारी गिरावट आ जाती है। मुर्गियों की हड्डियां टेढ़ी हो जाती हैं।तथा छोटी रह जाती हैं। इसकी कमी से प्रभावित मुर्गियों के पंख बहुत देर से निकलते हैं। विटामिन-डी मुर्गियों के शरीर के विकास में सहायक है।
उपचार
सामान्य रूप में विटामिन 'डी' धूप से मिलता है। अतः धूप का उचित प्रबंधकरना चाहिए। इसकी कमी से ग्रसित मुर्गियों को टी.एम. फोर्ट, विटामिक्स, कान्सीटोन,कान्सीमिन वीटासेप्ट इत्यादि दवाइयां देने से लाभ मिलता है।
विटामिन बी, की कमी से ग्रसित मुर्गियों के पंख झड़ने लगते हैं। भूख कम हो जाती है, मुर्गियां अत्यधिक कमजोर हो जाती हैं। प्रभावित मुर्गियों की त्वचा खुरदरी हो जाती है तथा पैरों के जोड़ों में सूजन आ जाती है। राइबोफ्लेविन की कमी से प्रभावित मुर्गियों के पंजे टेढ़े हो जाते हैं, जिसे ‘कङ टो' के नाम से जाना जाता है। पैरों में लकवा हो जाता है, जिसके कारण पैर टेढ़े हो जाते हैं तथा पैरालिसिस से ग्रसित हो जाते हैं। इसकी कमी से प्रभावित चूजों की वृद्धि रुक जाती है। विटामिन बी2 की कमी लगातार बने रहने से मुर्गियां चलने-फिरने में असमर्थ हो जाती हैं। एक जगह पड़ी रहती हैं तथा अंत में भूख एवं पानी की कमी के कारण मुर्गियों की मृत्यु हो जाती है।
रोग का उपचार
विटामिन बी2 की कमी से प्रभावित मुर्गियों को विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स की 1/2 से 1 चम्मच मात्रा प्रत्येक मुर्गी को देनी चाहिए। इसकी कमी से ग्रसित मुर्गियों को विसोल-बी की 15-20 मि.ली. मात्रा प्रति 100 मुर्गियों को पानी के साथ देनी चाहिए। साथ ही साथ कान्सीमिन की 25 ग्राम मात्रा को 10 कि.ग्रा. दाने के साथ देते रहना चाहिए।
विटामिन 'ए' की कमी के कारण मुर्गियों को रतौंधी रोग हो जाता है।प्रभावित मुर्गियों को दिखायी नहीं पड़ता है। आंखों में माड़ा पड़ जाता है और आंखें सफेद हो जाती हैं। इस विटामिन की कमी के कारण मुर्गियां सर्दी तथा जुकाम से ग्रसित हो जाती हैं | आंख तथा नाक से पानी बहता रहता है तथा आंख एवं नाक में सूजन आने लगती है | विटामिन 'ए' की कमी से ग्रसित छोटी मुर्गियों को चक्कर आने लगते हैं तथा ये गिर पड़ती हैं। इससे ग्रसित मुर्गियों को भूख कम लगती है। प्रभावित मुर्गियों का शारीरिक विकास रुक जाता है। विटामिन 'ए' की कमी से ग्रसित अंडे देने वाली मुर्गियों के अंडा उत्पादन में रोग के गिरावट आ जाती है। मुर्गियों के गुर्दा एवं मूत्र नलिकाओं में यूरिक एसिड जमा हो जाता है | विटामिन 'ए' की अधिक कमी होने पर मुर्गियों की मृत्यु हो जाती है।
उपचार
इसकी कमी से प्रभावित मुर्गियों के दाने में बिटाब्लेण्ड ए-डी-3 मिलाकर देना चाहिए अथवा बिटाब्लेण्ड लिक्विड पानी में मिलाकर देना चाहिए।
विटामिन 'ए' की अत्याधिक कमी से प्रभावित मुर्गियों को प्रोपलीन फोर्ट, एरोविट या विटामिन 'ए' की सूई की 1/2 से 1 लाख युनिट मांस में सप्ताह में दो बार लगानी चाहिए।
इसकी कमी से प्रभावित मर्गियों को हरी साग-सब्जियां अधिक मात्रा में देनी चाहिए। साथ ही साथ मछली के तेल की 2-4 बूंद सुबह-शाम पिलाते रहना चाहिए।
प्रभावित मुर्गियों को कन्सीविट या कान्सीटोन की 10 मि.ली. मात्रा प्रति 1000 मुर्गियों को पानी के साथ सुबह-शाम 7 दिनों तक पिलानी चाहिए।
विटामिक्स-एस की 25 ग्राम मात्रा को प्रति 10 कि.ग्रा. दाने में मिलाकर देते रहना चाहिए।
विटामिन 'ए' की कमी से ग्रसित मुर्गियों को विटामिन 'ए' की 10 मि.ली. मात्रा, अंडे देने वाली मुर्गियों को 10 मि.ली. मात्रा ग्रोवर को तथा 2 मि.ली. मात्रा, चूजों को पीने के पानी के साथ 10 दिनों तक देनी चाहिए।
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Answer:
मुर्गियों में विटामिन्स की कमी के कारण होने वाले प्रमुख रोग निम्नलिखित हैं:
विटामिन ‘ए’ की कमी से होने वाले रोग :
विटामिन 'ए' की कमी के कारण मुर्गियों को रतौंधी रोग हो जाता है।प्रभावित मुर्गियों को दिखायी नहीं पड़ता है। आंखों में माड़ा पड़ जाता है और आंखें सफेद हो जाती हैं। इस विटामिन की कमी के कारण मुर्गियां सर्दी तथा जुकाम से ग्रसित हो जाती हैं | आंख तथा नाक से पानी बहता रहता है तथा आंख एवं नाक में सूजन आने लगती है | विटामिन 'ए' की कमी से ग्रसित छोटी मुर्गियों को चक्कर आने लगते हैं तथा ये गिर पड़ती हैं। इससे ग्रसित मुर्गियों को भूख कम लगती है। प्रभावित मुर्गियों का शारीरिक विकास रुक जाता है। विटामिन 'ए' की कमी से ग्रसित अंडे देने वाली मुर्गियों के अंडा उत्पादन में रोग के गिरावट आ जाती है। मुर्गियों के गुर्दा एवं मूत्र नलिकाओं में यूरिक एसिड जमा हो जाता है | विटामिन 'ए' की अधिक कमी होने पर मुर्गियों की मृत्यु हो जाती है।
उपचार
इसकी कमी से प्रभावित मुर्गियों के दाने में बिटाब्लेण्ड ए-डी-3 मिलाकर देना चाहिए अथवा बिटाब्लेण्ड लिक्विड पानी में मिलाकर देना चाहिए।
विटामिन 'ए' की अत्याधिक कमी से प्रभावित मुर्गियों को प्रोपलीन फोर्ट, एरोविट या विटामिन 'ए' की सूई की 1/2 से 1 लाख युनिट मांस में सप्ताह में दो बार लगानी चाहिए।
इसकी कमी से प्रभावित मर्गियों को हरी साग-सब्जियां अधिक मात्रा में देनी चाहिए। साथ ही साथ मछली के तेल की 2-4 बूंद सुबह-शाम पिलाते रहना चाहिए।
प्रभावित मुर्गियों को कन्सीविट या कान्सीटोन की 10 मि.ली. मात्रा प्रति 1000 मुर्गियों को पानी के साथ सुबह-शाम 7 दिनों तक पिलानी चाहिए।
विटामिक्स-एस की 25 ग्राम मात्रा को प्रति 10 कि.ग्रा. दाने में मिलाकर देते रहना चाहिए।
विटामिन 'ए' की कमी से ग्रसित मुर्गियों को विटामिन 'ए' की 10 मि.ली. मात्रा, अंडे देने वाली मुर्गियों को 10 मि.ली. मात्रा ग्रोवर को तथा 2 मि.ली. मात्रा, चूजों को पीने के पानी के साथ 10 दिनों तक देनी चाहिए।
विटामिन बी, या राइबोफ्लेविन की कमी से होने वाले रोग
रोग के लक्षण :
विटामिन बी, की कमी से ग्रसित मुर्गियों के पंख झड़ने लगते हैं। भूख कम हो जाती है, मुर्गियां अत्यधिक कमजोर हो जाती हैं। प्रभावित मुर्गियों की त्वचा खुरदरी हो जाती है तथा पैरों के जोड़ों में सूजन आ जाती है। राइबोफ्लेविन की कमी से प्रभावित मुर्गियों के पंजे टेढ़े हो जाते हैं, जिसे ‘कङ टो' के नाम से जाना जाता है। पैरों में लकवा हो जाता है, जिसके कारण पैर टेढ़े हो जाते हैं तथा पैरालिसिस से ग्रसित हो जाते हैं। इसकी कमी से प्रभावित चूजों की वृद्धि रुक जाती है। विटामिन बी2 की कमी लगातार बने रहने से मुर्गियां चलने-फिरने में असमर्थ हो जाती हैं। एक जगह पड़ी रहती हैं तथा अंत में भूख एवं पानी की कमी के कारण मुर्गियों की मृत्यु हो जाती है।
रोग का उपचार
विटामिन बी2 की कमी से प्रभावित मुर्गियों को विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स की 1/2 से 1 चम्मच मात्रा प्रत्येक मुर्गी को देनी चाहिए। इसकी कमी से ग्रसित मुर्गियों को विसोल-बी की 15-20 मि.ली. मात्रा प्रति 100 मुर्गियों को पानी के साथ देनी चाहिए। साथ ही साथ कान्सीमिन की 25 ग्राम मात्रा को 10 कि.ग्रा. दाने के साथ देते रहना चाहिए।
विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग
विटामिन 'डी' की कमी होने पर मुर्गियों का विकास रुक जाता है | चूजों की वृद्धि दर में गिरावट आ जाती है। प्रभावित मुर्गियों के अंडों के छिलके पतले होने लगते हैं।अंडों के उत्पादन में भारी गिरावट आ जाती है। मुर्गियों की हड्डियां टेढ़ी हो जाती हैं।तथा छोटी रह जाती हैं। इसकी कमी से प्रभावित मुर्गियों के पंख बहुत देर से निकलते हैं। विटामिन-डी मुर्गियों के शरीर के विकास में सहायक है।
उपचार
सामान्य रूप में विटामिन 'डी' धूप से मिलता है। अतः धूप का उचित प्रबंधकरना चाहिए। इसकी कमी से ग्रसित मुर्गियों को टी.एम. फोर्ट, विटामिक्स, कान्सीटोन,कान्सीमिन वीटासेप्ट इत्यादि दवाइयां देने से लाभ मिलता है।
विटामिन 'के' की कमी से होने वाले रोग
इसकी कमी से ग्रसित मुर्गियों में कट लगने पर खून का थक्का बनाने की शक्ति क्षीण हो जाती है, जिसके कारण खून बहता रहता है।
उपचार
प्रभावित मुर्गियों को पोलकॉन की एक ग्राम मात्रा 10 कि.ग्रा. दाने में मिलाकर देते रहना चाहिए। इसकी कमी से ग्रसित मुर्गियों को कैपिलिन ओरल की एक टिकिया प्रतिदिन खिलाने से लाभ मिलता है। खून बहते रहने की अवस्था में क्रोमोस्टेट, स्टाइपलन या रेवीसी इत्यादि में से किसी एक की एक मि.ली. मात्रा की मांस में सूई लगानी चाहिए।
विटामिन 'ई' की कमी से होने वाले रोग या क्रेजी चिक रोग
यह मुख्य रूप से 2-3 माह के चूजों को अधिक प्रभावित करता है। विटामिन 'ई' की कमी के कारण चूजों में उन्माद हो जाता है, जिसे उन्मादी चूजे (क्रेजी चिक) कहते हैं | इसकी कमी से ग्रसित चूजे इधर-उधर भागने-दौड़ने लगते हैं तथा लड़खड़ा कर चलते रहते हैं, अंत में गिर पड़ते हैं, आंख बन्द कर बैठे रहते हैं और 24 घंटे के अंदर इनकी मृत्यु हो जाती है।
उपचार
इसकी कमी से ग्रसित मुर्गियों को विटासेप्ट की 0.25 से 0.5 मि.ली. मात्रा की सूई मांस में सप्ताह में एक बार देनी चाहिए। प्रभावित चूजों को पोलकॉन की एक ग्राम मात्रा 10 कि.ग्रा. दाने में मिलाकर खिलाने से लाभ मिलता है। प्रभावित मुर्गियों को कोन्सीटोन लिक्विड पिलाने से भी लाभ मिलता है।
Explanation:
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