मेरे हृदय के हर्ष हा !अभिमन्यु अब तू है कहाँ में कौनसा रस है
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मेरे हृदय के हर्ष हा !अभिमन्यु अब तू है कहाँ
इसमें में करुण रस है |
करुण रस
करुण रस का स्थायी भाव शोक होता है इस रस में किसी अपने का विनाश या अपने का वियोग, एवं प्रेमी से सदैव विछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है उसे करुण रस कहते हैं|
करुण रस उदहारण
यदि कोई दुर्घटना हो जाती है और उस दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं और उस घटना से अन्य लोग दुखी रहते हैं |
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'मेरे हृदय के हर्ष हा !अभिमन्यु अब तू है कहाँ' में करुण रस है।
Explanation:
- करुण रस का प्रयोग शोक अथवा दुःख प्रकट करने के लिए किया जाता है जिस परिस्थिति में दुबारा मिलने की आशा खत्म हो जाती है।
- यह रस बिछड़ जाने के वियोग को प्रकट करने के लिए प्रयोग होती है।
- दिए गए उदहारण 'मेरे हृदय के हर्ष हा !अभिमन्यु अब तू है कहाँ' में बिछड़ने का भाव प्रकट किया जा रहा है इसलिए करुण रस का प्रयोग हुआ है।
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