मीरा की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए
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मीरा की भक्ति का कोई वर्णन नहीं है।जो मनुष्य श्री कृष्ण को अपने प्रेम और भक्ति से अपने वश में कर ले उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है।अर्थात मीरा एक सच्ची सन्यासिनी और भक्तिनि थी जिसके कारण राधा भी आश्चर्यचकित हो गयी।
1abhijitgupta1:
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मीरा बाई (१५०४-१५५८) कृष्ण-भक्ति शाखा की प्रमुख कवयित्री हैं। उनकी कविताओं में स्त्री पराधीनता के प्रती एक गहरी टीस है, जो भक्ति के रंग में रंग कर और गहरी हो गयी है।[1] मीरा बाई ने कृष्ण-भक्ति के स्फुट पदों की रचना की है।
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