मेरी कक्षा-अध्यापिका पर निबंध | Write an Essay on My Class Teacher in Hindi
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छात्र-छात्राओं के मन पर अध्यापक-अध्यापिकाओं का प्रभाव पड़े बिना नहीं रहता । परन्तु फिर भी छात्र या छात्रा का जितना घनिष्ठ संबंध अपनी कक्षा अध्यापिका से रहता है, उतना प्राय: अन्य विषय के अध्यापकों से नहीं रहता । कक्षा-अध्यापिका प्रतिदिन उपस्थिति लेती है, अत: छात्र स्वभाविक रूप से उन से अधिक प्रभावित होते हैं ।
श्रीमती सरोज गुप्ता मेरी कक्षा-अध्यापिका है । वे लम्बे कद की सुशिक्षित महिला हैं । उनकी आयु लगभग 35 वर्ष है । गोरा रंग, बड़ी-बड़ी आँखें और घने लम्बे काले केश उनके व्यक्तित्व को चार चांद लगा देते हैं । वे मृदु भाषिणी हैं, परन्तु उद्दंड छात्रों को प्रताड़ित करने में तनिक भी नहीं हिचकतीं ।
वे हमें संस्कृत पढ़ाती हैं । उन का भाषा पर पूर्ण अधिकार है । व्याकरण पड़ाने में तो उन का जवाब ही नहीं है । वे धातु, लिंग, वचन, कारक पढ़ाते समय इतने उदाहरण देती हैं, कि कक्षा में ही विषय पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है ।
वे श्लोकों की व्याख्या करते समय हिन्दी के दोहों से उन की तुलना करती हैं, तो रस बरसने लगता है । वे प्रत्येक छात्र की कठिनाई को व्यक्तिगत स्तर पर दूर करती हैं । अपने खाली घंटों में जब अन्य अध्यापिकाएँ गप्पे लड़ाती हैं, तो वे कापियाँ जाँचती हैं अथवा कोई पुस्तक या समाचार-पत्र पढ़ती हैं ।
हमारी कक्षा अध्यापिका सांस्कृतिक कार्यक्रमों की संचालिका भी है । जब भी कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम होता है, तो वे छात्र-छात्राओं को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करती हैं । विद्यालय में सभी उनका सम्मान करते हैं । प्रधानाचार्या उनके कार्य की बड़ी प्रशंसा करती हैं । वे सुन्दर कविताएं भी लिखती हैं । कई बार उनकी कविताएं समाचार-पत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं ।
उनकी कविताएं पढ़कर मुझे बहुत आनन्द प्राप्त होता है । उनके विषय में कक्षा का परिणाम प्राय: शत-प्रतिशत रहता है । उनके छात्र विशेष योग्यता प्राप्त कर विद्यालय को गौरवान्वित करते हैं । वे कई बार हमें दर्शनीय स्थानों की सैर कराके लाई हैं । मैं अपनी कक्षा-अध्यापिका सरोज गुप्ता से इतना प्रभावित हूँ कि कई बार तो मैं स्वयं अध्यापिका बनने के स्वप्न देखने लगती हूँ ।
Answer:
हम सभी के जीवन में शिक्षक का बहुत महत्व होता हैं | एक शिक्षक को भगवान से भी बढ़कर दर्जा दिया गया हैं, क्यों की माता – पिता के बाद ही शिक्षक छात्र के अन्दर सोचने और समझने की शक्ति को विकसित करते हैं |
शिक्षक पुरे संसार में ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं | माता – पिता यह हमारे जीवन के सबसे पहले गुरु होते हैं | उसके बाद शिक्षक हमें अज्ञान रूपी अंधकार से हमारे जीवन पर ज्ञान रूपी प्रकाश डालते हैं |
शिक्षकों का एक ही उद्देश होता हैं की, छात्र अपने जीवन में सफल हो जाये और उसका नाम गर्व से ऊँचा करे | लेकिन कुछ शिक्षक ऐसे होते हैं, जिनका व्यक्तित्व, पढ़ाने का टिका और उनका आचरण काफी प्रभावित करता हैं | जिसकी वजह से वो बच्चों के आदर्श और प्रिय शिक्षक या शिक्षिका बन जाते हैं |
हमारे स्कूल में बहुत सारे शिक्षक और शिक्षिका हैं | उन सभी में से मेरी प्रिय अध्यापिका विज्ञानं की शिक्षिका हैं | उनका नाम स्नेहा रावत हैं | वह स्कूल के परिसर के पास में ही रहती हैं |
यह हम सभी को बहुत अच्छे से पढ़ाती हैं | उनका एक अनोखा व्यक्तिमत्व हैं | यह स्कूल की सबसे अच्छी अध्यापिका हैं और यह मेरे दोस्तों को भी बहुत पसंद हैं |
कोई भी छात्र उनके पढ़ाने पर उबता नहीं हैं, क्यों की वो पढाई के दौरान मनोरंजक बाते भी बताती हैं | वो कक्षा में जो पाठ अगले दिन पढाया जाता हैं, उसे सभी छात्रों को गहर से पढ़कर आने के लिए कहती हैं |
वह सभी छात्रों के साथ बहुत ही मित्रवत की तरह व्यवहार करती हैं | इसलिए हमें उनसे डर नहीं लगता हैं |
हम बिना किसी डर से उनके केबिन या कक्षा में उनसे कोई भी सवाल पूछते हैं | जब वो कक्षा में पढ़ाती हैं तब सभी छात्रों के गतिविधियों को देखती हैं |
उसके साथ शरारती बच्चों को दंडित करती हैं | वह हमेशा पढाई पर ध्यान देने के लिए कहती हैं और अध्यापक की बातों का पालन करने के लिए कहती हैं |
वह हमेशा हंस अभी से कहती हैं की अगर अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं तो अध्यापक के द्वारा बताई गयी बातों ध्यान रखना चाहिए |
उनकी बातों का जीवन भर पालन करना चाहिए | वह कभी भी कमजोर और बुद्धिमान बच्चों में भेदभाव नहीं करती हैं |
वो कमजोर बच्चों को अधिक मदद करती हैं | वह हमें कहती हैं की, हमेशा अपनी पढाई और जीवन के लक्ष्य के बारे में सोचना चाहिए |
मेरी प्रिय अध्यापिका से मुझे अपने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती हैं | उसके साथ – साथ मेरे अन्दर सकारात्मक भावना का संचार हो जाता हैं |
उनकी वजह से मेरा आचरण नैतिकवादी और आदर्शवादी बना हैं | मैं अपने प्रिय अध्यापिका के लिए सिर्फ इतना ही कहन चाहता हूँ की,
“नहीं है मेरे पास शब्द कि कैसे करुं धन्यवाद,
मुझे तो सिर्फ चाहिए बस आपका आर्शीवाद।
आज जो भी हूं उसमें है आपका बड़ा योगदान,
देने के लिए मुझे इतना ज्ञान।।”