मेरा माँझी मुझसे कहता रहता था।
बिना बात तुम नहीं किसी से टकराना।
पर जो बार-बार बाधा बन के आएँ,
उनके सिर को वहीं कुचल कर बढ़ जाना।
जानबूझ कर जो मेरे पथ में आती हैं,
भवसागर की चलती-फिरती चट्टानें ।
मैं इनसे जितना ही बचकर चलता हैं,
उतनी ही मिलती हैं, ये ग्रीवा ताने ।
रख अपनी पतवार, कुदाली को लेकर
तब मैं इनका उन्नत भाल झुकाता हूँ।
राह बनाकर नाव चढ़ाए जाता हूँ,
जीवन की नैया का चतुर खिवैया मैं
भवसागर में नाव बढ़ाए जाता हूँ।
१. कविता में मांझी किसे कहा गया है???
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kavita me manjhi man ya (dil) ko kaha gaya hai...
afzalazhar2580:
जीवन की नैया का चतुर खिवैया किसे कहा गया है
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Answer:
उत्तर - कवि ने अपने दिल को अपना मांझी बताया है ।
कवि ने आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है । कवि कहता है की हर मुसीबत का सामना डट कर करो और उनको कुचलते रहो ।जो व्यक्ति मुसीबतों से टकराता है और मुसीबतों का सामना करता है उसे ही जीवन की नैया का चतुर खिवैया कहा गया है।
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