मेरे मन में गत रात्रि के उस निन्दक मित्र के प्रति मेल नहीं रहा। दोनों
एक हो गये। भेद तो रात्रि के अन्धकार में मिटता है दिन के उजाले
में भेद स्पष्ट हो जाते हैं। निन्दा का ऐसा ही भेद नाशक अंधेरा होता
है। तीन चार घंटे बाद, जब वह विदा हुआ, तो हम लोगों के मन में
बड़ी शांति और तुष्टि थीं।
क
प्रस्तुत गद्यांश के पाठ एवं लेखक का नाम लिखिए।
रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
निन्दा का अंधेरा कैसा होता है?
लेखक एवं अन्यों को कब शान्ति और तुष्टि मिली?
Answers
Answered by
2
Answer:
मेरे मन में गत रात्रि के उस निन्दक मित्र के प्रति मेल नहीं रहा। दोनों
एक हो गये। भेद तो रात्रि के अन्धकार में मिटता है दिन के उजाले
में भेद स्पष्ट हो जाते हैं। निन्दा का ऐसा ही भेद नाशक अंधेरा होता
है। तीन चार घंटे बाद, जब वह विदा हुआ, तो हम लोगों के मन में
बड़ी शांति और तुष्टि थीं।
Similar questions