Hindi, asked by hjangid2530, 11 months ago

मीरा ने श्री कृष्ण के दर्शन पाने के लिए किन-किन
तकों का सहारा लिया है। अपने शलो में स्पष्ट किजिए​

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Answered by PranawGupta
5

Answer:

कृष्ण को पाने के लिए मीरा ने की थीं श्रीराम की भक्ति, जानें उनकी जिंदगी के अनछुए पहलू / कृष्ण को पाने के लिए मीरा ने की थीं श्रीराम की भक्ति, जानें उनकी जिंदगी के अनछुए पहलू

मीरा बाई के जीवन से जुड़ी कई बातों के को आज भी रहस्य माना जाता है। ऐसे में हम आपको गीताप्रेस गोरखपुर की पुस्तक भक्त-चरितांक के अनुसार मीरा बाई के जीवन और मृत्यु से जुड़ी कुछ बातें बताने जा रहे हैं।

मीरा बाई भगवान श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी भक्त मानी जाती है। मीरा बाई ने जीवनभर भगवान कृष्ण की भक्ती की और कहा जाता है कि उनकी मृत्यु भी भगवान की मूर्ति में समा कर की हुई थी। कहीं-कहीं इतिहास में ये मिलता है कि मीरा बाई ने तुलसीदास को गुरु बनाकर रामभक्ति भी की। कृष्ण भक्त मीरा ने राम भजन भी लिखे हैं। हालांकि इसका स्पष्ट उल्लेख कहीं नहीं मिलता है लेकिन कुछ इतिहासकार ये मानते हैं कि मीराबाई और तुलसीदास के बीच पत्रों के जरिए संवाद हुआ था।

मीरा बाई के जीवन से जुड़ी कई बातों के को आज भी रहस्य माना जाता है। ऐसे में हम आपको गीताप्रेस गोरखपुर की पुस्तक भक्त-चरितांक के अनुसार मीरा बाई के जीवन और मृत्यु से जुड़ी कुछ बातें बताने जा रहे हैं।

तुलसीदास के कहने पर की राम की भक्ति

माना जाता है मीराबाई ने तुलसीदास जी को पत्र लिखा था कि उनके घर वाले उन्हें कृष्ण की भक्ति नहीं करने देते। श्रीकृष्ण को पाने के लिए मीराबाई ने अपने गुरु तुलसीदास से उपाय मांगा। तुलसी दास के कहने पर मीरा ने कृष्ण के साथ ही रामभक्ति के भजन लिखे। जिसमें सबसे प्रसिद्ध भजन है “पायो जी मैंने राम रतन धन पायो”।

आगे की स्लाइड्स पर जानें मीराबाई के जीवन सं जुड़ी अन्य खास बातें...

तस्वीरों का प्रयोग प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।

Explanation:

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Answered by Janani7305
8

Answer:

वे कृष्ण को पाने के लिए अनेकों कार्य करने को तैयार हैं। वह सेविका बन कर उनकी सेवा कर उनके साथ रहना चाहती हैं, उनके विहार करने के लिए बाग बगीचे लगाना चाहती है। वृंदावन की गलियों में उनकी लीलाओं का गुणगान करना चाहती हैं, ऊँचे-ऊँचे महलों में खिड़कियाँ बनवाना चाहती हैं ताकि आसानी से कृष्ण के दर्शन कर सकें। वे उनके दर्शन के लिए कुसुम्बी रंग की साड़ी पहनकर यमुना के तट पर आधी रात को प्रतीक्षा करने को तैयार हैं। वे अपने आराध्य को मिलने के लिए हर सम्भव प्रयास करने के लिए तैयार है।

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