मेरा प्रिय खेल खो-खो पर essay
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मैं बहुत सारे खेल खेलता हूं जैसे कि हॉकी फुटबॉल बैडमिंटन क्रिकेट लेकिन मुझे इन सब में सबसे ज्यादा खो-खो खेलना पसंद है। खो खो और कबड्डी हमारे देश में परंपरागत रूप से पुराने जमाने से ही खेलें जाते रहे है। हमारे देश में खो-खो खेल बहुत प्रसिद्ध है लेकिन यह सबसे ज्यादा लोकप्रिय पंजाब राज्य में है। यह खेल खुले वातावरण और खुले मैदान में खेला जाता है। कहां जाता है कि खो-खो गरीबों का खेल है क्योंकि इसको खेलने के लिए हमें पैसों की आवश्यकता नहीं पड़ती है इसलिए हमारे गांव में रहने वाले मेरे सभी दोस्त इस खेल को खेलना बहुत पसंद करते है। इस खेल को खेलते समय चोट लगने का भी खतरा बहुत कम होता है क्योंकि यह खुले और मिट्टी के मैदान में खेला जाता है जिससे गिरने पर भी चोट नहीं लगती है।
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खो-खो खेल में हर एक टीम में 9 सदस्य होते है। इस खेल को खेलने वाले धावक में स्फूर्ति का होना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इस खेल में मुख्यत: दौड़ ही लगाई जाती है। खो खो खेलने से हमारे हाथ और पांव की मांसपेशियां मजबूत होती है। इस खेल को खेलने से हमारी सोचने समझने की शक्ति बढ़ती है।
इस खेल को खेलने के लिए एक मैदान में एक निश्चित दूरी पर दो खंभे लगा दिए जाते हैं और उनके बीच दोनों टीमों के धावक एक दूसरे के विरुद्ध दिशा में बिठा दिया जाते है। और दोनों दलों से 11 खिलाड़ी खड़ा रहता है और सीटी बजते ही एक टीम का खिलाड़ी दूसरी टीम के खिलाड़ी को पकड़ने लग जाता है। और अगर वह खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी को पकड़ लेता है तो दूसरी टीम का धावक खेल से बाहर हो जाता है।
इस खेल को शांतिपूर्वक खेला जाता है और इसे खेलने से आपस में भाईचारा भी बढ़ता है। और साथ ही हमारे पूरे शरीर का एक साथ विकास होता है।