Hindi, asked by anantjohari, 1 year ago

मेरा प्रिय मित्र लेखन

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Answered by sakshig
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hey frnds.......
अनुराग मेरा सबसे प्रिय मित्र है। उसका घर मेरे पास ही है। मैं प्रतिदिन उसके घर जाता हूं और उसके साथ खेलता और पढ़ता हूं। उसके पिताजी पेशे से इंजीनियर हैं। अंकल और मेरे परिवार के बीच बहुत घनिष्ठ संबंध हैं। मेरे और अनुराग के परिजन सभी एक-दूसरे को जानते हैं।

हमारी मित्रता लगभग 8 वर्ष पुरानी है। हमारे विचार लगभग समान हैं। हमारी मित्रता में स्वार्थ की भावना दूर-दूर तक नहीं है। हम दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते हैं।

अनुराग बहुत नम्र लड़का है। उसका उत्साह और आत्मविश्वास गजब का है। उसकी वाणी से शालीनता और नम्रता साफ झलकती है। उसे मैंने किसी के साथ भी अभद्र स्वर में बातें करते नहीं देखा। खेल में हारकर भी वह उदास और दुखी नहीं होता है। दूसरी तरफ मैं थोड़ी सी हार भी बर्दाश्त नहीं कर सकता था। जरा-जरा सी बात में मुझे गुस्सा आ जाता था। उसे देखकर ही मेरी इस आदत में सुधार हुआ है।

वह समय का बहुत पाबंद है। उसी ने मुझे समय का महत्व समझाया है। सच्चे मित्र की परीक्षा विपत्ति में होती है। अनुराग हमेशा मेरे घर-परिवार में होने वाले किसी भी कार्यक्रम में मेरा हाथ बंटाने के लिए तैयार रहता है। कहते हैं सच्चा मित्र ईश्वर का अमूल्य उपहार है। मुझे अपने इस दोस्त और हमारी दोस्ती पर गर्व है।.........


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Answered by ARJUN2420
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । इस नाते वह अपना मित्र एव सहयोगी बनाता है । प्रत्येक व्यक्ति के कई मित्र या साथी होते हैं परंतु सबसे प्रिय इनमें से कोई एक ही होता है । हमें अपने प्रिय मित्र पर सबसे अधिक भरोसा होता है ।

वह सुख-दुख में हमारा साथ निभाता है । उसका साथ हमारे बहुत से कष्टों को दूर कर देता है । प्रफुल्ल मेरा ऐसा ही सर्वाधिक प्रिय मित्र है । यथा नाम तथा गुण प्रफुल्ल हर समय हँसता-मुस्कराता रहता है । जब मैं उसके साथ होता हूँ वह मुझे उदास नहीं होने देता । कभी कोई चुटकुले सुनाकर तो कभी कोई मजेदार वाकया सुनाकर मुझे हँसाता रहता है ।

वह मेरे परिवार के साथ पूरी तरह घुल-मिल गया है । मेरी माँ उसे देखते ही मुझे कहती है देखो तुम्हारा हँसोड़ मित्र आ गया । वह जहाँ रहे वहाँ भला कोई मुँह लटकाए कैसे रह सकता है ! बिना दीपावली के ही फुलझड़ियाँ छूटने लगती हैं ।

इसका अर्थ यह नहीं कि मेरा मित्र केवल हँसने-हँसाने में ही लगा रहता है । पढ़ाई के समय उसकी एकाग्रता देखते ही बनती है । इस समय यदि उसके सामने से बैंड वाले भी गुजर जाएँ तो भी वह सिर उठा कर नहीं देखता ।

यही कारण है कि वह पढ़ाई-लिखाई में हमारी कक्षा में सबसे तेज है । गणित के प्रश्नों को तो वह चुटकियों में हल कर देता हैं । मैं जब भी उससे उसकी तीक्षा बुद्धि और प्रत्युतपन्नमति का राज पूछता हूँ तो वह हँसकर टाल देता है । उसके गुणों की प्रशंसा हमारे शिक्षकगण भी किया करते हैं ।

यद्यपि प्रफुल्ल चेहरे-मोहरे से साधारण दिखाई देता है परंतु अपने भोलेपन और मिलनसार प्रवृत्ति के कारण वह बहुत से लोगों का चहेता है । वह हमेशा मुझे उचित सलाह देता है । वह समय का बहुत पाबद है । प्रात:काल उठकर घूमने जाता है और खुले मैदान में हल्की कसरत करता है । इस समय रोजाना मैं उसके साथ रहता हूँ । प्रात उठकर टहलने की आदत मुझे उसके संसर्ग से ही लगी है ।

उसकी मित्रता के कारण गणित जइऐसा कठिन विषय भी मेरे लिए सरल लगने लगा है । इस तरह कई मामलों में मैं अपने मित्र का आभारी हूँ । प्रफुल्ल मेरा प्रिय मित्र इसलिए भी है क्योंकि हमारे विचार आपस में मिलते हैं । वह गरीब परिवार का लड़का है परंतु हृदय का धनी है । उसमें किसी प्रकार की हीन भावना का सर्वथा अभाव है ।

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