मेरी प्रिय पुस्तक रामचरितमानस। Meri Priya Pustak Ramcharitmanas
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श्रीरामचरितमानस के प्रणेता भारतीय जनता के सच्चे प्रतिनिधि गोस्वामी तुलसीदास जी हैं। उन्होने इसकी रचना सन् 1631 वि0 से प्रारम्भ करके संवत् 1633 वि0 मेँ पूर्ण की थी। यह अवधी भाषा में लिखा गया उनका सर्वोत्तम ग्रन्थ है। इसमें महाकवि तुलसी ने मर्यादा-पुरुषोत्तम श्रीराम चन्द्र के जीवन-चरित को सात कांडों में प्रस्तुत किया है। तुलसीदास जी ने इस महाग्रन्थ की रचना ‘स्वान्तः सुखाय' की है।
श्रीरामचरितमानस हिन्दी-साहित्य का सर्वोत्कृष्ट और अनुपम ग्रन्थ है। यह हिन्दूजनता का परम पवित्र धार्मिक ग्रन्थ है। अनेक विद्वान् अपने वार्तालाप को इसको सूक्तियों का उपयोग करके प्रभावशाली बनाते हैं। श्रीरामचरितमानस की लोकप्रियता का सबसे सबल प्रमाण यही है कि इसका अनेक विदेशी भाषाओँ मेँ अनुवाद हो चुका है। यह मानव-जीवन को सफल बनाने के लिए मैत्री, प्रेम, करुणा, शान्ति, तप, त्याग और कर्तव्य-परायणता का महान्सन्देश देता है।
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Explanation:
पुस्तके मनुष्य के एकाकी जीवन की उत्तम मित्र हैं, जो घनिष्ठ मित्र की तरह सदैव सांत्वना प्रदान करती हैं। अच्छी पुस्तकें मानव के लिए सच्ची पथ-पदर्शिका होती हैं। मनुष्य को पुस्तकें पढ़ने में आनन्द की प्राप्ति होती है। वैसे तो सभी पुस्तकें ज्ञान का अक्षय भण्डार होती हैं और उनसे मस्तिष्क विकसित होता है परन्तु अभी तक पढ़ी गयी अनेक पुस्तकों मे मुझे सबसे अधिक प्रभावित किया है ‘श्रीरामचरितमानस' ने। इसके अध्ययन से मुझे सर्वाधिक सन्तोष, शान्ति और आनन्द की प्राप्ति हुई है।