Hindi, asked by almiearmaan, 1 year ago

मेरा प्रिय त्योहार ईद पर निबंध

Answers

Answered by Aryan1081
166
ईद-उल-फितर’ अथवा ‘ईद’ का त्योहार मुस्लिम समुदाय का मुख्य त्योहार है । विश्व के सभी कोनों में फैले मुस्लिम लोग इसे बड़ी ही श्रद्‌धा एवं उल्लासपूर्वक मनाते हैं ।

वास्तव में ईद का त्योहार समाज में खुशियाँ फैलाने, पड़ोसियों के सुख-दु:ख में भागीदार बनने तथा जन-जन के बीच सौहार्द फैलाने में महत्चपूर्ण भूमिका अदा करता है । हमारे देश में जब ईद का त्योहार आता है, मुसलमानों के अतिरिक्त अन्य सभी समुदायों के व्यक्ति खुशी से झूम उठते हैं ।

मुस्लिमों के लिए रमजान का महीना विशेष धार्मिक महत्व रखता है । यह उनके दृष्टिकोण में उनके लिए आत्मशुदधि का महीना होता है । सभी मुस्लिम जन इस महीने में पूरे दिन का उपवास रखते हैं । इसका वे इतनी कठोरता से पालन करते हैं कि वे दिन भर जल की एक बूँद भी ग्रहण नहीं करते हैं ।

भी लोग दिन के पाँच बजे निश्चित समय पर खुदा को ‘नमाज’ अदा करते हैं तथा अपने व सभी परिजनों की आत्मशुद्‌धि के लिए दुआ करते हैं । रमजान के पूरे महीने सभी मुस्लिम सूर्यास्त के पश्चात् ही भोजन व जल ग्रहण करते हैं ।

परंतु इस्लाम में कुछ असहाय, बीमार तथा लाचार व्यक्तियों को व्रत से छूट दी गई है लेकिन सभी सक्षम व्यक्तियों के लिए रमजान के महीने में व्रत रखना अनिवार्य है । रमजान महीने के अंतिम दिन सभी मुस्लिम चाँद को देखने की उत्सुकता रखते हैं क्योंकि चाँद के दिखाई देने के पश्चात् ही दूसरे दिन ‘ईद’ मनाई जाती है ।

सभी मुसलमान इस त्योहार को बड़ी धूम-धाम से विशेष तैयारी के साथ मनाते हैं । ईद के त्योहार में संपूर्ण वातावरण एकरस हो जाता है । अमीर-गरीब, जवान या बूढ़ा सभी जनों में बराबर उत्साह देखा-जा सकता है । सभी अपनी शक्ति व सामर्थ्य एवं रुचि के अनुसार नए वस्त्र, नए आभूषण, जूते, चप्पल व अन्य भौतिक सुख की सामग्री की खरीद करते हैं ।

चारों ओर फलों व मिठाइयों की दुकानों में लंबी भीड़ देखी जा सकती है । वातावरण में एक नई रौनक आ जाती है l



ईद के दिन प्रात:काल बच्चे, युवक, बूढ़े सभी स्वच्छ कपड़ों में एक निश्चित समय पर ईदगाह में एकत्रित होते हैं । सभी लोग वहाँ पंक्तिबद्‌ध होकर ‘नमाज’ अदा करते

हैं । हजारों की संख्या में एकत्रित हुए लोगों के हाथ जब दुआ के लिए उठते हैं तो संपूर्ण दृश्य देखकर मन आदोलित हो उठता है । तब ऐसा प्रतीत होता है जैसे सभी आपस में भाई-भाई हैं जिनमें परस्पर द्‌वेष व वैमनस्य का कोई स्थान नहीं है ।

नमाज अदा करने के उपरांत सभी लोग एक-दूसरे को गले लगाते हैं तथा ईद की मुबारकबाद देते हैं । सभी लोग अपने मित्रों व सगे-संबंधियों के घर जाकर उन्हें ईद की मुबारकबाद देते हैं । इसके साथ ही दावतों का सिलसिला शुरू हो जाता है । लोग नाना प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद उठाते हैं तथा अपने निकट संबंधियों में इसका आदान-प्रादान भी करते हैं ।

रमजान का महीना और उसके पश्चात् ईद का पावन पर्व सभी के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है । यह मन की पवित्रता एवं उसकी शुद्‌धता हेतु मनुष्य को प्रेरित करता है । निस्संदेह यदि हम इस पावन पर्व के मूल आदर्शों का पालन करें तो लोगों के मध्य वैर-भाव, शत्रुता अर्थात् मनुष्य का मनुष्य के प्रति भेद-भाव को बहुत हद तक कम किया जा सकता है ।

यह त्योहार हमें भाईचारे तथा एक-दूसरे से प्रेम करने की सीख देता है ।

”ईद हो या दीवाली,

चहुँ ओर एक रौनक सी आई ।

देखो धरती पर फिर से,

स्वर्ग की घटा घिर आई ।

almiearmaan: thanx Aryan 1081.it's helpful for me!
Aryan1081: is ok
Aryan1081: Answer like kar da
Answered by aman712
86
ईद मुसलमान भाइयों का सर्वप्रमुख त्योहार है । इस त्योहार को ईद-उल-फित्र के नाम से भी जाना जाता है । यह त्योहार रमजान के महीने की त्याग, तपस्या और व्रत के उपरांत आता है । यह प्रेम और भाईचारे की भावना उत्पन्न करनेवाला पर्व है । इस दिन चारों ओर खुशी और मुस्कान छाई रहती है । हर कोई ईद मनाकर स्वयं को सौभाग्यशाली समझता है ।
रमजान का पूरा महीना व्रत का महीना होता है । हर स्वस्थ मुसलमान रोजे रखता है । दिन में न कुछ खाता है, न पानी पीता है । सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच ही खाया-पीया जाता है । बहुत सब्र की जरूरत होती है, बड़ी तपस्या के दिन होते हैं यह! जब बाहर लू के थपेड़े चल रहे हों, जब प्यास के मारे गला सूख रहा हो, तब लगातार एक महीने तक व्रत रखना सचमुच दिलेरी का काम है । पर बच्चों और बीमार लोगों को व्रत से छूट दे दी गई है । बच्चे बड़े होकर यह व्रत कर सकते हैं, बीमार स्वस्थ होकर इस्लामी मान्यताओं का पालन कर सकते हैं ।
रमजान का पावन महीना जैसे-जैसे बीतता गया, लोगों की उत्कंठा बढ़ती गई । बच्चे अधीर होने लगे… कब ईद आएगी? अब्बाजान तो कहते थे, जल्दी ईद आएगी, पर अभी तक ईद आयी नहीं । पर नए वस्त्र तो सिलवा कर रख सकते हैं, पसंद की टोपी तो खरीद ही सकते हैं । उनका उत्साह थमने का नाम नहीं ले रहा ।
आखिर आसमान में ईद के चाँद के दर्शन हुए और शाही इमाम ने ईद की घोषणा कर दी । घर-घर में मीठी सेवइयाँ बनाने की तैयारी होने लगी । बच्चे, बुजुर्ग सब जल्दी-जल्दी नहा- धोकर ईदगाह या मस्जिद जाने लगे । आत्मा और परमात्मा का मिलाप हुआ । मानव-मानव एक हुआ । शांति और सौहार्द के नए वातावरण का सृजन हुआ ।


प्रार्थना समाप्त हुई । लोग एक-दूसरे से गले मिले । ईद की बधाइयों का आदान-प्रदान हुआ । बच्चे मेला देखने के लिए मचल गए । बड़े भी उनकी खुशी में शरीक हुए । बच्चों को गुब्बारे, खिलौने, झूले और खाने-पीने की चटपटी चीजें भाई । बुजुर्गों ने भी अपने-अपने ढंग से मनोरंजन किया । महीने भर खुदा की इबादत का यह सुफल मिला है । सब ओर चहल-पहल है । हर कोई अपनी पसंद की चीजें खरीद रहा है, खा-पी रहा है और सामाजिक मेल-मिलाप हो रहा है । बाजारों में विशेष रौनक है, गली-मोहल्ले में चहल-पहल है । घर में मीठी सेवइयाँ पक रही हैं । लोग एक-दूसरे को अपने घर दावत दे रहे हैं ।
आज हर कोई प्रसन्न है । गरीब से गरीब आदमी भी ईद को पूरे उत्साह से मना रहा है । दु:ख और पीड़ा पीछे छूट चुकी है । अमीर और गरीब का अंतर मिट चुका है ।
खुदा के दरबार में सब एक हैं, अल्लाह की रहमत हर एक पर बरसती है । अमीर खुले हाथों दान दे रहे हैं । यह कुरान का निर्देश है कि ईद के दिन कोई दु:खी न रहे । यदि पड़ोसी दु:ख में है तो उसकी मदद करो । यदि कोई असहाय है तो उसकी सहायता करो । यही धर्म है, यही मानवता है ।

इस तरह दिन हँसी-खुशी में बीत गया । ईद की खुशी में सभी सामाजिक समूहों ने मुसलमानों का साथ दिया । उनके घर जाकर ईद के पकवान खाए । सामाजिक वैमनस्य मिटा । ईद सबके साथ प्रेम करने तथा अपने सुख-दु:ख बाँटने का संदेश दे गया ।

almiearmaan: thanx...
aman712: wlcm..
Similar questions