मेरे पिताजी पर निंबध हिंदी में
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‘मेरे पिता’ मेरे जीवन के सबसे अच्छे दोस्त और सच्चे हीरो हैं। मैं हमेशा उन्हें डैड बुलाता हूँ। वो मेरे जीवन के सबसे खास व्यक्ति हैं। वो एक बहुत अच्छे खिलाड़ी और कलाकार हैं। वो अपने बचे समय में पेंटिंग करते हैं और हमें भी पेंटिंग करने के लिये प्रोत्साहित करते हैं। वो कहते हैं कि हमें संगीत, गायन, खेल क्रिया, पेंटिंग, नृत्य, कार्टून बनाने आदि में रुचि रखनी चाहिये क्योंकि ऐसी अतिरिक्त गतिविधियाँ हमारे बचे हुए समय को व्यस्त रखती है और पूरे जीवनभर शांतिपूर्ण रहने में मदद करती है। नयी दिल्ली के एक लिमिटेड कम्पनी में वो एक इंटरनेट मैनेजर हैं (एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर)।
ज़रुरतमंद लोगों की मदद के लिये वो कभी पीछे नहीं हटते और हमेशा उनकी मदद के लिये तैयार रहते हैं खासतौर से बूढ़ लोगों की मदद के लिये। वो मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं और मेरी सभी समस्याओं की चर्चा करते हैं। जब कभी-भी मैं परेशान होता हूं, वो मुझे बहुत शांतिपूर्वक कारण बताते हैं और मुझे सबसे ऊपर के कमरे में ले जाते हैं, वो मुझे अपने बगल में बैठाते हैं, अपना हाथ मेरे कंधे पर रखते हैं और अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हैं, मुझे एहसास कराने के लिये अपनी गलतियाँ और सफलता सहित कमियाँ बताते हैं कि मैं क्या सही और क्या गलत कर रहा हूँ। वो जीवन की नैतिकता के बारे में बताते हैं और बड़ों के महत्व को समझाते हैं। वो हमें सिखाते हैं कि हमें पूरे जीवनभर किसी इंसान को दुखी नहीं करना चाहिये और हमेशा ज़रुरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिये खासतौर से बूढ़े व्यक्तियों की।
वो हमेशा मेरे दादा-दादी का ध्यान रखते हैं और कहते हैं कि बुजुर्ग लोग घर की बहुमूल्य संपत्ति की तरह होते हैं इनके बिना, हम बिना माँ के बच्चे और पानी बिना मछली की तरह हैं। वो हमेशा किसी भी बात को आसानी से समझने के लिये बहुत अच्छा उदाहरण देते हैं। हर छुट्टी पर अर्थात् रविवार को, वो हमें पिकनिक या पार्क में ले जाते हैं जहां हम सभी कुछ बाहरी क्रियाओं और खेलों के द्वारा खूब मस्ती करते हैं। हम आमतौर पर बाहर के खेल के रुप में बैडमिंटन और घर के खेल में कैरम खेलते हैं।
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