मेरे संग की औरतें' कहानी में वर्णित लेखिका की नानी तथा नाना की परस्पर मत
विभिन्नता कभी दांपत्य जीवन में बाधक नहीं बनी। स्पष्ट कीजिए।
Answers
Explanation:
लेखिका की माँ बेरिस्टर की बेटी थीं। वे अपनी माँ की ही भांति स्वतंत्र व्यक्तित्व की स्वामिनी थीं। उन्होंने कभी भी एक बहू, पत्नी व माँ के कर्तव्यों का पालन नहीं किया था। परन्तु फिर भी वे सारे घर की प्यारी थीं। उनके लिए लेखिका ने कहा है, कभी घर के किसी अन्य सदस्य को शायद ही कुछ कहते सुना हो क्योंकि –
(क) (1) उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी कि वे एक ईमानदार स्त्री थीं। वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं फिर चाहे कितना कड़वा सच ही क्यों न हो। ये उनके चरित्र की बड़ी विशेषता थी। यही कारण है कि घर के सभी लोग उनका आदर करते थे।
(2) वे कभी किसी की गोपनीय बात कभी दूसरे पर ज़ाहिर नहीं होने देती थीं। जिसके कारण सभी व्यक्ति उनके मित्र थे। उनकी सलाह का सभी सम्मान करते थे।
(ख) लेखिका की दादी के घर का माहौल स्वतंत्रता से परिपूर्ण था। वे अपनी बहुओं व बेटियों पर ताना या उलाहना नहीं देती थीं। उनका घर परिवार की दृष्टि से काफी बड़ा था। उनकी एक परदादी भी थीं। उनके घर में सबको समान अधिकार प्राप्त था। किसी से भी कोई सवाल-जवाब नहीं किया करता था। उनका घर उस समय के परिवेश से सर्वदा भिन्न था। उस समय में उनकी परदादी द्वारा लड़की माँगने से सभी हैरान थे, पर उनकी दादी की यही इच्छा थी।