Hindi, asked by Pushpenderayadav7875, 2 months ago

मेरो सब पुरुषारथ था को
बिपति बटावन बंधु बाहु​

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Answered by Anonymous
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तुलसीदास जी द्वारा रचित गीतावली के अर्थ- अब मैं थक चुका हूं । मेरा पुरूषार्थ भी थक चुका है । मेरी विपत्ति को हरने वाला , मेरे पास सदैव खड़ा रहने वाला भाई रूपी हथियार भी अब मेरे पास नहीं है । मैं अब किस पर विश्वास करू । सुग्रीव मेरी बात सुनो विधाता भी अब मेरे साथ नहीं है । युद्ध के समय में लक्ष्मण जैसे भाई ने भी मेरा साथ छोड़ दिया है । वन में वानर चले जाएंगे तब जाकर मैं लक्ष्मण का हाथ पकड़ कर चलूंगा । अंत में तुलसीदास जी कहते हैं कि श्री राम जी की यह बात सुनकर सभी वानर श्री राम जी का साथ देने के लिए खड़े हो जाते हैं ।

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