Hindi, asked by Laxmidegio, 6 months ago

मेरे सपनों का भारत भारत गौरवशाली बने​

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Answered by naveenmahto0
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Explanation:

मैं जिस राष्ट्र की सुंदर और पावन जमीं पर रहता हूँ, विश्व उसे भारत के नाम से जानता है। प्राचीन काल में यह अत्यंत संपन्न और गौरवशाली देश था। काल के थपेड़ों को सहते-सहते इस देश को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वर्तमान में इसे अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मैं अपने सपनों के भारत को एक विकसित गौरवशाली और महान राष्ट्र के रूप में देखना चाहता हूँ।

भारत सदा से अहिंसा का पुजारी रहा है। यहाँ जन्मे विभिन्न महापुरुषों-गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी, सम्राट अशोक गुरुनानक, महात्मा गाँधी आदि ने अहिंसा का संदेश पूरी दुनिया को दिया। ये लोग मारकाट में विश्वास नहीं करते थे। मेरे सपनों का भारत ऐसा होगा, जिसमें हिंसा आतंकवाद आदि के लिए कोई स्थान नहीं होगा। सब परस्पर शांति और प्रेम से रहेंगे।

भारत सदा से ही ज्ञान का केंद्र रहा है। इसने पूरी दुनिया में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विश्व में ज्ञान का आलोक फैलाया। गणित के क्षेत्र में शून्य भारत की ही देन है। प्राचीन काल में यहाँ तक्षशिला, नालंदा जैसे सुप्रसिद्ध विश्वविद्यालय थे, जहाँ भारतीय ही नहीं विदेशी भी ज्ञानार्जन करने आते थे। दुर्भाग्य से आज हमें उच्चशिक्षा हेतु विदेशों में जाना पड़ता है। मेरे सपनों का भारत पुनः शिक्षा के विषय में विश्व के विकसित देशों जैसा ही होगा।

प्राचीन काल में भारत आर्थिक दृष्टि से अत्यंत समृद्धशाली था। इसे ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था। इसकी धन-संपदा देख विदेशियों को लालच आया। उन्होंने कई बार इस देश पर आक्रमण किए। आज भारत को निर्धनता का सामना करना पड़ रहा है। मेरे सपनों का भारत पुनः पहले से अधिक धनी और समृद्ध होगा।

वर्तमान में शोषण की समस्या उठ खड़ी हुई है। पूँजीपति मजदूरों का, नेता भोली भाली जनता का, दुकानदार ग्राहकों का शोषण कर रहे हैं। ठेकेदारी-प्रथा में शोषण और भी बढ़ गया है। सभी को अवसर की समानता न उपलब्ध होने के कारण वर्ग विशेष का शोषण किया जा रहा है। मेरे सपनों के भारत में सभी शोषणमुक्त होंगे और सभी को समान अवसर मिलेंगे।

वर्तमान भारत में अनेक सामाजिक रूढ़ियाँ और कुरीतियाँ फैली हैं जो विकास में बाधक सिद्ध होती हैं। इनमें दहेज-प्रथा, छुआछूत, ऊँच-नीच की भावना आदि हैं। मेरे सपनों का भारत इन कुरीतियों से मुक्त हो प्रगति के पथ पर उत्तरोत्तर बढ़ता रहेगा।

मेरे सपनों के भारत में वास्तविक लोकतंत्र होगा, जहाँ नेता दल बदलते, वोट खरीदते, जनता को चुनावी झाँसे देते, वोट के बदले नोट बाँटते नजर नहीं आएँगे। वे माननीय होकर अमाननीयों जैसा अमर्यादित व्यवहार नहीं करेंगे। ये नेतागण सच्चे राष्ट्र-भक्त होंगे।

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