मेरी दीवानगी की कोई हद नहीं, सूरत के सिवा कुछ मैं, मैं हूँ तेरे गुलशन का, तेरे सिवाएंम पर किसी का हक़।
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जी कहता जी भर तुझे प्यार करूँ, वक़्त ये कहता क्यूँ तेरा एतबार करूँ, इसी कश्मकश कहीं तुझे खो ना दूं, दिल ये कहता पहले उलझन पार करूँ।
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