Hindi, asked by ABHI04115, 8 months ago

मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरें पहिरौंगी।

ओढ़ि पितंबर लै लकुटी बन गोधन ग्वारनि संग फिरौंगी।।

भावतो वोहि मेरो रसखानि सों तेरे कहे सब स्वाँग करेंगी।

या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।।

please tell it's meaning
-Question from ABHI04115​

Answers

Answered by priya555842
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Answer:

भावार्थ ► रसखान कहते हैं कि श्री कृष्ण गोपियों को इतनी पसंद आते हैं कीिगोपियां कृष्ण को रिझाने के लिए श्रीकृष्ण की तरह के सारे स्वांग करने को तैयार हैं। वह श्रीकृष्ण की तरह मोर मुकुट पहनकर, गले में माला डालकर, पीले वस्त्र धारण कर और हाथ में लाठी लेकर पूरे दिन गायों और ग्वालों के साथ घूमने को भी तैयार हैं। लेकिन इसके साथ ही वह एक शर्त रख देती हैं कि वह मुरलीधर के होठों से लगी मुरलीधर की बांसुरी को अपने होठों से लगाने के लिए तैयार नहीं है। अर्थात गोपियां श्री कृष्ण द्वारा किए जाने वाले सारे कृत्यों का स्वांग करने को तैयार हैं। बस मुरलीधर की बांसुरी से उन्हें कष्ट है, क्योंकि वह श्री कृष्ण की बांसुरी को अपनी सौतन समझती हैं, जिसके कारण श्री कृष्ण बांसुरी में ही मगन रहते हैं और उनकी तरफ ध्यान नहीं देते।

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Explanation:

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