Hindi, asked by sumitrewar58, 17 days ago

मारत में बेलों के समक्ष चुनौतियाँ niband

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Answered by priyanshujhajharia26
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Explanation:

संदर्भ

महान कूटनीतिज्ञ चाणक्य के शब्दों में किसी भी प्रकार के आक्रमण से अपनी प्रजा की रक्षा करना प्रत्येक राजसत्ता का सर्वप्रथम उद्देश्य होता है। “प्रजा का सुख ही राजा का सुख और प्रजा का हित ही राजा का हित होता है।” प्रजा के सुख और हित को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने में दो वाहकों की भूमिका प्रमुख है, जिनमें पहला वाहक पड़ोसी या कोई अन्य देश हो सकता है जबकि दूसरा वाहक राज्य के भीतर अपराधियों की उपस्थिति हो सकती है।

चाणक्य ने अर्थशास्त्र में लिखा है कि एक राज्य को निम्नलिखित चार अलग-अलग प्रकार के खतरों का सामना करना पड़ सकता है- 1) आंतरिक, 2) वाह्य, 3) वाह्य रूप से सहायता प्राप्त आंतरिक, 4) आंतरिक रूप से सहायता प्राप्त बाहरी। भारत में आंतरिक सुरक्षा के परिदृश्य में उपर्युक्त खतरों के लगभग सभी रूपों का मिश्रण है। वर्तमान में चल रहे लॉकडाउन के बावज़ूद भारत वाह्य व आंतरिक सुरक्षा के स्तर पर विभिन्न चुनौतियों को झेल रहा है। इसका ज्वलंत उदाहरण पड़ोसी देश पाकिस्तान के द्वारा भारत में सीमापार से आतंकियों को भेजने हेतु की जा रही फायरिंग व पंजाब में लॉकडाउन का पालन कराने के दौरान निहंग सिखों द्वारा किया गया हमला है।

इस आलेख में आंतरिक सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा की समस्या के कारणों पर विमर्श करने के साथ ही समस्या समाधान के प्रभावी उपायों पर भी चर्चा की जाएगी।

आंतरिक सुरक्षा से तात्पर्य

आंतरिक सुरक्षा का सामान्य अर्थ एक देश की अपनी सीमाओं के भीतर की सुरक्षा से है। आंतरिक सुरक्षा एक बहुत पुरानी शब्दावली है लेकिन समय के साथ ही इसके मायने बदलते रहे हैं। स्वतंत्रता से पूर्व जहाँ आंतरिक सुरक्षा के केंद्र में धरना-प्रदर्शन, रैलियाँ, सांप्रदायिक दंगे, धार्मिक उन्माद थे तो वहीँ स्वतंत्रता के बाद विज्ञान एवं तकनीकी की विकसित होती प्रणालियों ने आंतरिक सुरक्षा को अधिक संवेदनशील और जटिल बना दिया है।

पारंपरिक युद्ध की बजाय अब छदम युद्ध के रूप में आंतरिक सुरक्षा हमारे लिये बड़ी चुनौती बन गई है।

आंतरिक सुरक्षा के घटक

राष्ट्र की संप्रभुता की सुरक्षा

देश में आंतरिक शांति और सुरक्षा को बनाए रखना

कानून व्यवस्था बनाए रखना

शांतिपूर्ण सहअस्तित्व एवं सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना

आंतरिक सुरक्षा के समक्ष उत्पन्न चुनौतियाँ

भारत की भू-राजनैतिक स्थिति, इसके पड़ोसी कारक, विस्तृत एवं जोखिम भरी स्थलीय, वायु और समुद्री सीमा के साथ इस देश के ऐतिहासिक अनुभव इसे सुरक्षा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील बनाते हैं। इस संदर्भ में आंतरिक सुरक्षा के सम्मुख निम्नलिखित चुनौतियाँ हैं-

नक्सलवाद- नक्सलवाद कम्युनिस्ट क्रांतिकारियों के उस आंदोलन का अनौपचारिक नाम है जो भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के फलस्वरूप उत्पन्न हुआ। नक्सल शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के छोटे से गाँव नक्सलबाड़ी से हुई। वर्ष 1967 में चारू मजुमदार और कानू सान्याल ने इस आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया। जल्द ही नक्सलवाद ने देश के कई राज्यों को अपनी चपेट में ले लिया, परिणामस्वरूप नक्सलवाद ने हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। आज नक्सलवाद देश की आंतरिक सुरक्षा के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती के रूप में मौज़ूद है।

धार्मिक कट्टरता एवं नृजातीय संघर्ष- स्वतंत्रता के बाद से लेकर अब तक भारत में अनेक सांप्रदायिक दंगे हुए हैं। जिसने भारत की बहुलतावादी संस्कृति को छिन्न-भिन्न कर दिया है, धर्म, भाषा या क्षेत्र आदि संकीर्ण आधारों पर अनेक समूह व संगठनों ने लोगों में सामाजिक विषमता बढ़ाने का समानांतर रूप में प्रयास भी करते रहे हैं। ये अतिवादी संगठन अपने धर्म, भाषा या क्षेत्र की श्रेष्ठता का दावा प्रस्तुत करते हैं तथा विद्धेषपूर्ण मानसिकता का विकास करते हैं।

भ्रष्टाचार- भ्रष्टाचार को सभी समस्याओं की जननी माना जाता है, क्योंकि यह राज्य के नियंत्रण, विनियमन एवं नीति-निर्णयन क्षमता को प्रतिकूल रूप में प्रभावित करता है। वस्तुतः ऐसा कार्य जो अवांछित लाभ को प्राप्त करने के इरादे से किया जाए अर्थात जो सदाचार, नैतिकता, परंपरा और कानून से विचलन दर्शाता हो तथा निर्णय निर्माण प्रक्रिया में एकीकरण के अभाव व शक्ति का दुरुपयोग करता हो उसे भ्रष्टाचार की श्रेणी में रखा जाता है।

मादक द्रव्य व्यापार- भारत के पड़ोसी देशों में ‘स्वर्णिम त्रिभुज’ (म्यांमार, थाईलैंड और लाओस) व ‘स्वर्णिम अर्द्धचंद्राकार’ (अफगानिस्तान, ईरान एवं पाकिस्तान) क्षेत्रों की उपस्थिति के फलस्वरूप मादक द्रव्य का बढ़ता व्यापार भारत की आंतरिक सुरक्षा के समक्ष प्रमुख चुनौती बन कर उभरा है।

मनी लाँड्रिंग- काले धन को वैध बनाना ही मनी लाँड्रिंग है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा अवैध स्रोत से अर्जित की गई आय को वैध बनाकर दिखाया जाता है। इसमें शामिल धन को मादक द्रव्य व्यापार, आतंकी फंडिंग और हवाला इत्यादि गतिविधियाँ में प्रयोग किया जाता है। मापन में कठिनाई के बावजूद हर साल वैध बनाए जाने वाले काले धन की राशि अरबों में है और यह सरकारों के लिये महत्त्वपूर्ण नीति संबंधी चिंता का विषय बन गया है।

आतंकवाद- आतंकवाद ऐसे कार्यों का समूह होता है जिसमें हिंसा का उपयोग किसी प्रकार का भय व क्षति उत्पन्न करने के लिये किया जाता है। किसी भी प्रकार का आतंकवाद, चाहे वह क्षेत्रीय या राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय हो, देश में असुरक्षा, भय और संकट की स्थिति को उत्पन्न करता है। आतंकवाद की सीमा कोई एक राज्य, देश अथवा क्षेत्र नहीं है बल्कि आज यह एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या के रूप में उभर रही है।

संगठित अपराध- प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक अथवा अन्य लाभों के लिये एक से अधिक व्यक्तियों का संगठित दल, जो गंभीर अपराध करने के लिये एकजुट होते हैं, संगठित अपराध के श्रेणी में आता है। परंपरागत संगठित अपराधों में अवैध शराब का धंधा, अपहरण, जबरन वसूली, डकैती, लूट और ब्लैकमेलिंग इत्यादि। गैर-पारंपरिक अथवा आधुनिक संगठित अपराधों में हवाला कारोबार, साइबर अपराध, मानव तस्करी, मादक द्रव्य व्यापार आदि शामिल हैं।

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