Hindi, asked by gowthamreddy54955, 3 months ago

में सिनेमा हुँ,
पाट का
भाशं अपने शल्लों में लिखिए।​

Answers

Answered by NINJA2490
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Answer:

अपने पन की चली हवाएँ, हिन्दी के शृंगार से।

हिन्दी के स्वर बुला रहे हैं, सात समन्दर पार से।।

आज विश्व में हिन्दी के प्रति,

बढ़ने लगा लगाव है।

एक मात्र भाषा है जिसमें,

सर्वधर्म समभाव है।।

हिन्दी इतनी सहज कि इसको सब अपनाते प्यार से।

हिन्दी के स्वर बुला रहे हैं सात समन्दर पार से।।

सकल विश्व साहित्य आजकल,

हिन्दी में उपलब्ध हैं।

हिन्दी के बढ़ते प्रचलन से,

हर भाषा स्तब्ध है।।

प्रगति पंथ पर देश चला है हिन्दी के विस्तार से।

हिन्दी के स्वर बुला रहे हैं सात समन्दर पार से।।

वही देश उन्नत होता है,

जिसकी भाषा एक हो।

उसको जग सम्मानित करता,

जिसके पास विवेक हो।।

अनजाने अपने हो जाते हिन्दी के व्यवहार से।

हिन्दी के स्वर बुला रहे हैं सात समन्दर पार से।।

कई सितारे चमक रहे हैं,

हिन्दी के आकाश में।

छटा इन्द्रधनुषी बिखरी है,

इसके मृदुल प्रकाश में।।

जग को ज्ञान ज्योति मिलती है हिन्दी के भंडार से।

हिन्दी के स्वर बुला रहे हैं सात समन्दर पार से।।

सजीवन मयंक

१५ सितंबर २००८

 

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